Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 83
________________ ८२ [जैन आगम : एक परिचय विषयवस्तु- इसमें सर्वप्रथम अध्ययन शब्द की निक्षेप दृष्टि से विचारणा हुई है और उसके बाद श्रुत, स्कन्ध, संयोग, आकीर्ण, परीषह, एकक, चतुष्क, उरभ्र, कपिल, प्रवचन, मोक्ष, चरण, विधि, मरण आदि पदों पर भी निक्षेप दृष्टि से चिन्तन है। विशेषताएँ- इसमें यत्र-तत्र अनेक शिक्षाप्रद कथाएँ है । इसकी अनेक गाथाएँ सूक्तियों के रूप में हैं । सूक्ति और दृष्टान्त कथाओं के संयोग से शैली रोचक हो गई है। (४) आचारांगनियुक्ति- इसमें ३४७ गाथाएँ हैं । विषयवस्तु- सर्वप्रथम सिद्धों को नमस्कार करके आचार, अंग, श्रुत, स्कन्ध, ब्रह्म, चरण, शस्त्र, परिज्ञा, संज्ञा और दिशा-इन पर निक्षेप दृष्टि से विचार किया गया है। आचार के अनेक पर्यायवाची शब्द देने के बाद यह बताया गया है कि आचार ही धर्म का सार क्यों है और इसका फल क्या है? इसके बाद आचारांग प्रथम श्रुतस्कन्ध के नौ अध्ययनों के नाम-निर्देश हैं। प्रथम अध्ययन शस्त्र-परिज्ञा में 'शस्त्र' और 'परिज्ञा' दोनों शब्दों की द्रव्य और भाव से विचारणा की गई है। संज्ञा और दिशाओं के भी द्रव्य और भाव ये दो भेद किये गये हैं। भाव दिशा के 18 भेद बताये हैं। दूसरे उद्देशक में छह काय के जीवों का वर्णन करके उन्हें कष्ट न देने की प्रेरणा दी गई है। दूसरे अध्ययन में बताया गया है कि भावलोक कषाय है और कषाय-विजय ही लोक विजय है। तीसरे शीतोष्णीय अध्ययन में शीत और उष्ण शब्द पर निक्षेप दृष्टि से विचार करके यह बताया है कि स्त्री और सत्कार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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