Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 95
________________ ९४ आधार पर लिखा गया है । ( ९ ) पिण्डनिर्युक्तिभाष्य- इसमें ४६ गाथाएँ हैं । इसमें अदृश्य होने का चूर्ण और दो क्षुल्लक भिक्षुओं की कथाएँ है । श्रमण के आहार ग्रहण का वर्णन तो है ही । [ जैन आगम : एक परिचय ( १० ) उत्तराध्ययनभाष्य- इसकी कुल ४५ गाथाएँ हैं । इसमें बोटिक की उत्पत्ति, पुलाक, वकुश, कुशील आदि का वर्णन है । दशवैकालिक भाष्य- इसमें कुल ६३ गाथाएँ हैं । इसमें हेतु विशुद्धि, प्रत्यक्ष - परोक्ष, मूलगुण व उत्तरगुणों का प्रतिपादन है । चूर्णि - साहित्य चूर्णियों की रचना गद्य में है । इनकी भाषा शुद्ध प्राकृत और संस्कृत मिश्रित प्राकृत है । इन व्याख्या ग्रन्थों - चूर्णियों की रचना भाष्यों के बाद हुई । निम्न १८ आगमों पर चूर्णियाँ लिखी गई हैं (१) आचारांग, (२) सूत्रकृतांग, (३) व्याख्याप्रज्ञप्ति, (४) जीवाभिगम, (५) निशीथ, (६) महानिशीथ, (७) व्यवहार, (८) दशा श्रुतस्कन्ध, (९) बृहत्कल्प, (१०) पंचकल्प, (११) ओघनिर्युक्ति, (१२) जीतकल्प, (१३) उत्तराध्ययन, (१४) आवश्यक, (१५) दशवैकालिक, (१६) नन्दी, (१७) अनुयोगद्वार, (१८) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति । प्रमुख चूर्णिकार - चूर्णि साहित्य के निर्माताओं में जिनदासगणी महत्तर का नाम सर्वप्रथम है । इनका काल वि.सं. ६५०-७५० के बीच होना चाहिए। ये आचार्य हरिभद्र से पहले हुए हैं । उन्होंने अपनी वृत्तियों में इनकी चूर्णियों का उपयोग किया है। परम्परा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106