Book Title: Agam ek Parichay
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 28
________________ • २७ जैन आगम : एक परिचय] दी गयी है जो 'निशीथ' नाम से उपलब्ध है। - चार चूलाओं में से प्रथम चूलिका के सात अध्ययन और पच्चीस उद्देशक हैं। इनमें श्रमणचर्या का वर्णन है। उत्सर्ग-मार्ग के साथ-साथ अपवाद-मार्ग का भी उल्लेख हुआ है। द्वितीय चूलिका में सात अध्ययन हैं, लेकिन उद्देशक एक भी नहीं है। तृतीय भावना नामक चूलिका में भगवान महावीर के पवित्र चरित्र का वर्णन है। चतुर्थ विमुक्ति नामक चूलिका में ममत्वमूलक आरम्भ और परिग्रह के फल की मीमांसा करते हुए उनसे दूर रहने की प्रेरणा दी गयी है। इस प्रकार आचारांग में आराध्यदेव चरम तीर्थंकर भगवान महावीर के पवित्र चरित्र के वर्णन के साथ ही आचार का वर्णन है और सम्यक् दर्शन-ज्ञान-चरित्र की सुन्दर त्रिवेणी का संगम है। (२) सूत्रकृतांग सूत्र- यह द्वितीय अंग आगम है। इसके सूतगड, सुत्तकड, अन्य नाम हैं। इसमें दार्शनिक अंश अधिक है। रचयिता एवं रचनाकाल- इसके रचयिता भी गणधर सुधर्मा हैं और इसका रचना काल भी वही है। रचनाशैली- इसमें दो श्रुतस्कन्ध हैं। प्रथम श्रुतस्कन्ध का अधिकांश भाग पद्य में है, केवल सोलहवाँ अध्ययन ही गद्य में है। द्वितीय श्रुतस्कन्ध का अधिकांश भाग गद्य में है। वर्गीकरण- अनुयोगों की दृष्टि से इसको चरणकरणानुयोग एवं द्रव्यानुयोग में रखा गया है । चूर्णिकार ने इसे चरणकरणानुयोग में रखा है और आचार्य शीलांक ने द्रव्यानुयोग में। वस्तुतः इसमें दोनों अनुयोगों का वर्णन है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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