Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayana Sutra ka Shailivaigyanik Adhyayana
Author(s): Amitpragyashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati
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शारीरिक विशेषण लक्खणस्सरसंजुओ (स्वर लक्षणों से युक्त) २२/५, अट्ठसहस्सलक्खणधरो (एक हजार आठ शुभ-लक्षणों का धारक) २२/५, कालगच्छवी (श्याम वर्ण वाला) २२/५,वज्जरिसहसंघयणो (वज्रऋषभ संहनन) २२/६, समचउरंसो (समचतुरस्र संस्थान) २२/६, झसोयरो (मछली के समान उदर वाला) २२/६, छत्तेण चामराहि य सोहिए (छत्र-चामर से सुशोभित) २२/११, दसारचक्केण परिवारिओ (दशारचक्र से घिरा हुआ) २२/११,
इस प्रकार अरिष्टनेमि स्वयं तो मोक्ष में प्रतिष्ठित होते ही हैं, भव्य जीवों का भी मार्ग प्रशस्त करते हैं। ६. राजीमती
रहनेमिज्जं' अध्ययन का सर्वाधिक शौर्यवीर युक्त पात्र नायिका राजीमती है। राजसी वैभव में पली हुई, फिर भी परिस्थितियों के वात्याचक्र से सर्वथा अप्रभावित रहकर आदर्श पात्र के रूप में अपना परिचय देती हैआदर्श राजकन्या
भोजकुल के राजन्य उग्रसेन की पुत्री यौवन-सौन्दर्य से परिपूर्ण थी। एक ही गाथा में उसके रूप-लावण्य का समग्र निर्देश उसकी शारीरिक तथा आत्मिक द्युति को प्रकट करता है। मानो 'चित्रे निवेश्य परिकल्पित सत्वयोगात् की द्वितीय संरचना ही हो - .
अह सा रायवरकन्ना सुसीला चारुपेहिणी। सव्वलक्खणसंपुन्ना विज्जुसोयामणिप्पमा।। उत्तर. २२/७
वह राजकन्या सुशील, चारुप्रेक्षिणी, स्त्री जनोचित सर्व-लक्षणों से परिपूर्ण और चमकती हुई बिजली जैसी प्रभा वाली थी। राजीमती का यह रूप लावण्य मेघदूत की यक्षिणी और शाकुन्तलम् की शकुन्तला की याद दिलाता
तन्वी श्यामा शिखरिदशना पक्व बिम्बाधरोष्ठी, मध्येक्षामा चकितहरिणी प्रेक्षणा निम्ननाभिः । श्रोणीभारादलसगमना स्तोकनम्रा स्तनाभ्यां,
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उत्तराध्ययन का शैली-वैज्ञानिक अध्ययन
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