Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayana Sutra ka Shailivaigyanik Adhyayana
Author(s): Amitpragyashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 248
________________ सन्दर्भ १. भाषाविज्ञान की भूमिका, पृ. २०। २. भाषा विज्ञान एवं भाषा शास्त्र, पृ. ६। ३. महाभाष्य १/२/२९-३० ४. भाषाविज्ञान की भूमिका, पृ. २०६। कालुकौमुदी पूर्वार्ध, सू. १७/ ६. अष्टाध्यायी, १/४/१४॥ ७. महाभाष्य उद्धृत, भाषाविज्ञान एवं भाषाशास्त्र, पृ. २७७/ ८. निरुक्त १/१॥ ९. प्राकृतशब्दानुशासनम्, श्लोक ६। १०. प्राकृतलक्षण, १/१) ११. वाग्भटालंकार, २/२। १२. प्राकृत व्याकरण, १/१] १३. देशी नाममाला, १/३, ४। १४. वाक्यपदीय, १/७३। १५. 'वाक्यं स्याद् योग्यताकांक्षासत्तियुक्तः पदोच्चयः' साहित्य दर्पण, २/१। १६. वाक्यपदीय, २/३२८। १७. 'कुशलाः-तत्त्वविचारं प्रति निपुणाः' बृहृवृत्ति, पत्र ३७०। १८. उत्तराध्ययन चूर्णि, पृ. ७०। १९. बृहद्वृत्ति पत्र, ४५६, ४५७। २०. बृहद्वृत्ति पत्र, ५०८। उत्तराध्ययन की भाषिक संरचना 231 ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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