Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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है, इस कठिन ग्रन्थ को आप सभी की शुभकामनाओं से सुबोध बना सकूँगा।
अन्त में मैं डॉ. सागरमल जैन मन्त्री पार्श्वनाथ विद्यापीठ (पूर्व निदेशक) के प्रति किन शब्दों में आभार प्रकट करूँ जिनके योगदान के बिना यह अनुवाद प्रकाशित नहीं हो सकता था, मेरे पास शब्द नहीं हैं। जैन विद्या के प्रति समर्पित व्यक्तित्व वाले विद्यापीठ के पूर्व मन्त्री श्री भूपेन्द्र जी एवं श्री इन्द्रभति जी का भी आभारी हूँ जिनका परोक्ष सहयोग इस ग्रन्थ के प्रकाशन में रहा है। श्री अरुण जोशी जी, श्री रमण भाई शाह जी, श्री विपिन जैन जी एवं श्री विजय जी के प्रति पुन: आभार प्रकट करते हुए इस गुजराती अनुवाद की सफलता की कामना करता हूँ।
वाराणसी दिनाङ्क १३.५.२००१
डॉ० सुदर्शन लाल जैन प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
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