Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Author(s): Saubhagyamal Maharaj Publisher: Sthanakvasi Jain Conference View full book textPage 9
________________ उपोद्घात जिस समय श्री उत्तराध्ययन सूत्र की प्रथम आवृत्ति प्रकाशित हुई उसी समय श्री दशवैकालिक सूत्र का मी अनुवाद प्रकाशित करने की इच्छा थी और उसका प्रारंभ भी हो चुका था, परन्तु अनेक अनिवार्य संयोगों के कारण, प्रबळ इच्छा होने पर भी अहमदाबाद में तो पूर्ण न हुई। __अहमदाबाद से क्यों २ विहार करते हुए आगे बढ़ते गये क्यों २ मार्ग में यथाविकाश उसका तथा 'साधक सहचरी' (जो प्रकाशित हो चुकी है) का काम होता रहा और अंत में इसकी समान्ति कठोर ग्राम्य में हुई। इस पर से इस ग्रंथ का देरी से प्रकाशित होने का कारण मालूम हो जायगा। 1 उत्तराध्ययन के समान ही श्री दशवकालिक का भी विस्तृत प्रचार हो सकेगा या नहीं इस प्रश्न का एक निश्चित उत्तर नहीं दिया जा सकता क्योंकि श्री उत्तराध्ययन सूत्र में तो विविध कथाप्रसंग, सुन्दर ऐतिहासिक घटनाएं, तथ ईधुकारीय, चित्तसंभूतीय, स्थनेमीय आदि अनेक चेतनवंत संवादो सामान्य से सामान्य हृदय को भी अपनी तरफPage Navigation
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