Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra
Author(s): Punyavijay, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Granth Parishad
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-१००
महानिसीह-सुय-खंधं
६
[३] ‘से भयवं ! केत्तियं तस्स, पच्छित्तं हवइ णिच्छियं ? । पायच्छित्तस्स ठाणाई, केवतियाइं ? कहेहि मे !' ॥९३॥ गोयमा! जं सुसीलाणं समणाणं दसण्हं उ। खलियागय-पच्छित्तं, संजइ तं नवगुणं ॥९४।। एक्का पावेइ पच्छित्तं, जइ सुसीला दढ-व्वया । अह सीलं विराहेज्जा, ता तं हवइ सयगुणं ॥९५॥ तीए पंचिंदिया जीवा, जोणी-मज्झ-निवासिणो । सामण्णं नव लक्खाइं, सव्वे पासंति केवली ॥९६।। केवल-णाणस्स ते गम्मा, णोऽकेवली ताई पासती। ओहीनाणी वियाणेए, णो पासे मणपज्जवी ॥९७|| ते परिसं संघ ती. कोल्हगम्मि तिले जहा। सव्वे मुम्मुरावेइ रत्तुम्मत्ता अहणिया ॥९८॥ चक्कमंती य गाढाइं काइयं वोसिरंति या। वावाइज्जा उदो तिण्णि, सेसाइं परियावई ॥९९।। पायच्छित्तस्स ठाणाई, संखाइयाइं गोयमा ! अणालोयंतो हु एक्कं पि ससल्लमरणं मरे ॥१००॥ सयसहस्स णारीणं, पोट्टे फालेत्तु निग्घिणो । सत्तट्ठमासिए गन्भे, चडफडते णिगिंतइ ॥१०१॥ जं तस्स जेत्तियं पावं, तेत्तियं तं णवं गुणं । एक्कसित्थी पसंगेणं, साहू बंधिज्ज' मेहुणा ॥१०२।। साहुणीए सहस्सगुणं मेहुणेक्कसिं सेविए। कोडिगुणं तु बिइज्जेणं, तइए बोही पणस्सई ॥१०३।। एयं नाऊण जो साहू इथियं रामेहिई। बोहिलाभा परिन्भट्ठो कहं वराओं सोहिइ ॥१०४।। अबोहिलाभियं कम्मं संजओ अह संजई। मेहुणे सेविए आऊ-तेउक्काए पबंधई ॥१०५।। जम्हा तीसु वि एएसु, अवरज्झतो हु गोयमा !। उम्मग्गमेव वद्धारे, मग्गं निट्ठवइ सव्वहा ।।१०६।।
[३ऊ] 'भगवं ! ता एएण नाएणं, जे गारत्थी मउक्कडे । रत्तिं दिया ण छडंति, इत्थीयं तस्स का गई ? ||१०७|| ते सरीरं सहत्थेणं छिंदिऊणं तिलं तिलं । अग्गिए जइ वि होमंति, तो वि सुद्धी न दीसइ ।।१०८॥
१°ती का गोण्हगं ला। २ वेमुसुमुरावेइ खं. सं । ३ अहनिया जे. अहम्मिया हे. । ४ ब्भे तडफ खं. । ५ हू वंचिज्ज ख. । ६ जो
साहू इत्थियं दुहुँ विसयट्टो रामेहिई खं. ला.। ७ हं चरउ सो होहि खं.। ८ वट्टारे जे./ ववहारे ला.। Jain Education International
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