Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra
Author(s): Punyavijay, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 216
________________ महानिसीह - सुय खंध एह् इ म् अ त् थ् अ (ट्ठू अ) स् इ क् ख् अ ण् अ म् घ् एम् प् प्इ स् स् अ म् । ' [ ४७ ] ओ या पवर- विज्जाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊण इमे य सत्तक्खरे उत्तमंगोभय - खंध - कुच्छी चलणतलेसु णसेज्जा', तं जहा - अ उम् [ओं] उत्तमंगे, क् उ [ कु] वाम- खंध-गीवाए, र् [रु] वा कुच्छीए, क् उ [कु] वाम चलणयले लू ए [ ले] दाहिण चलणयले', स् व् अ आ [ स्वा] दाहिण - कुच्छीए, अ अ [हा] दाहिण- खंध - गीवाए । दुसुमिण-दुण्णमित्ते गह- पीडुवसग्ग-मारि-रिट्ठ-भए, वासासणिविज्जू वायारी महाजण विरोहे ॥ २५॥ जं चत्थि भयं लोगे तं सव्वं निद्दले इमाए विज्जाए । सहद्धे मंगलयरे रिद्धियरे पावहरे सयलवरक्खयसोक्खदाई ॥ २६ ॥ काउमिमे पच्छित्ते जइ ण तु णं तब्भवे सिज्झे । ता हिऊण विमाणगई सुकुलुप्पत्तिं दुयं च पुणो बोहिं ||२७|| ता, सोक्ख परंपरएणं सिज्झे कम्मट्ठे बंधरयमलविमुक्ते । गोयमो त्ति बेमि (छ) [४८ ] 'से भयवं ! किमेयाणुमेत्तमेव पच्छित्त-विहाणं' जेणेवमाइसे ? गोयमा ! एय सामण्णेणं दुवालसण्ह-काल- मासाणं पइदिण - महन्निसाणुसमयं पाणोवरमं जाव स-बाल वुड्ढ- सेह-मयहरायरिय- माईणं तहा य अपडिवाइ-महोवहि-मणपज्जवणाणी छउमत्थ- तित्थयराणं एतेण अब्भुट्ठाणारिहावस्सगसंबंधेयं चेव सामण्णेणं पच्छित्तं समाइडं, नो णं एयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं । ' से भयवं ! किं अपडिवाइ-महोवही-मण- पज्जवणाणी छउमत्थ- वीयरागे य सयलावस्सगे समणुट्टीया ? गोयमा ! समणुडीया । ण केवलं समणुट्टीया, जमग- समगमेवाणवरयमणुट्ठीया । 'से भयवं ! कहं ? 'गोयमा ! अचिंत - बल - वीरिय- बुद्धि-नाणाइसय- सत्ती - सामत्थेणं । 'से भयवं ! के णं अट्ठेणं ते समणुट्ठीया ? 'गोयमा ! मा णं उस्सुत्तुम्मग्गपवत्तणं मे भवउ त्ति काऊणं ॥छ । १३५ [४९] 'से भयवं ! किं तं सविसेसं पायच्छित्तं जाव णं वयासि ? 'गोयमा ! वासारत्तियं पंथ - गामियं वसहि पारिभोगियं गच्छायारमइक्कमणं संघायारमइक्कमणं गुत्ती - भेय' - पयरणं सत्त-मंडली - धम्माइक्कमणं अगीयत्थ गच्छ Jain Education International १ [ पाएहिं जणदणु, जंघ णिउम्मेहिं तिविक्कमु । नाहिहिं पव्वनाभु हियए हरु भुएहिं महसूदणु || मत्थइ देउ अणंतु, एहिं अत्थ (ट्ठ) सिक्खणं घेप्पिस्सं ||] यू अस् एई, जण् आम् दे ण् उ ज् अन् ण हा ण इ उ म् मू ए इ इ मूत इव इक म उ णू आ ह् इ ए हु इम् पव्वाणू आग ओइ ह अ एह र उह इम् म हसु उ उ अण् उ म् व इ द ए ओ आ ण् अ म् च उ ए हम् इम् इम् वट्ट इ सु ख् क् अल् अ म् घ् एप् इ स् स् अ म् च उ । ला. य् अस् एई, जा ण् आम् दे ण् उ ज् अन् ण ह्रा ण ई उ म् म् ए, ट इम् त इ चई क म उ ण् आ ह् इ ए हु इम् पव्वाण् आग, इह अह र उ च उब्भइ म् म ह स उ उ अणू उ, म् इ व् द ए उ, आ णू, आम् च उ ए ह म् वट्टइ मुखे क् अल् अ म्, ध प ह ए इ सस्, अम् च उ । ला. प् आए ह् इ ज ण् अ म् द ण् उ, ज् अ म् ण ह्रण इ उ म् म् एह् इम् त् इ व् इ क्क म् उ ण् आ ह् इ ए ह् इम् पव्वाण् आग् उ, हइ अ ए ह र उ च उ इम् म हु स् उ उ, अ ण् उ मत्थ इ द् ए उ, अ ण् अ म् त उ ए ह म् इम् वद्ध स्, इ, ख क् अ उ लू अमू धू ए ह व इसम अम् २ णिसेज्जा ला. सन्निसेज्जा खं । ३ अ उ अस् जे० अ उम् सा. / अउम् सु. । ४ रे. उ सं. । ५ चलणालए सं. । ६ सत्थपहे सा. सह सु. खं । ७ ण भवे सं. । ८ विहारिणं ला. । ९ सुत्ती. सं. मुत्तिभे. खं. । For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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