Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra
Author(s): Punyavijay, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 248
________________ [८] ५-४९ ३-८३ ३-९२ ३-९४ ६-३८८ ७-३० ५-४८ ५-७८ ३-९८ 9 m mmmm ५-६८ ५-३९ ५-६५ ५-६६ ५-७१ २-१८ ६-३८१ जत्थ य पच्चंगुब्भड जत्थ य बाहिरपाणस्स जत्थ य वंदणपडिक्कमण जत्थ य संणिहिउक्खड जत्थ य सूलविसूइय जत्थ य हत्थसए वि य जत्थ समुद्देसकाले जत्थ समोसरिओ सो जत्थहिरण्णसुवण्णहत्थेण जत्थहिरण्णसुवण्णे धण जस्थाखलियममिलियं . जत्थित्थी कर फरिसं अंतरियं जत्थित्थीकरफरिसं लिंगी जत्थुत्तरवडपडिउत्तरेहि जत्थेक्कंगसरीरो जमणुसमयमणुभवंताणं जमदिटुं सत्तसु वि जम्मजरमरणभीओ जम्मजरामरणदोगच्च जम्मंतरसंचिय-गरुय जम्मंतरेसु बहुएसु जम्मं पि गोयमा ! वोले जम्मदरिदस्स गेहम्मि जम्माहिसेयमहिम जम्हा तीसु वि पएसु जयसद्दमुहलमंगल जरजुण्णफुट्टसयच्छिदं जरमरणमयरपउरे जल-जलण दुट्ठ सावय जस्स धणं तस्स जणो जस्स न नज्जइ कालं जस्साणुभावओ नत्थं जस्साणुभावओ सुचरियस्स जस्साणुमयं हिययं जह अच्चेऊण सुरा जह कच्छुल्लो कच्छं जह काउणऽण्णभवे जह गमइ कुमारत्तं जह घणघाइचउक्कं जह जह पहरे दियहे जह जाणइ सव्वण्णू जह जायकम्मविणिओग जह तव-संजम-सज्झाय जह निद्दलइ असेसं जह पंच लोयपाले जह य तिसलाउ सिद्धत्थ जह व कहेइ जिणिदो जह व निक्खमणमहं जह सिज्झइ जगनाहो जह सुरनाहो अंगुट्ठपव्वं जह सुरहिगंधगब्भिण जहाणं गोयमा ! एसा जहेव दसण भद्देणं जा अकामनिज्जरा जाया जाइ खयं अन्ने विय जाणंति अणुहवंति य जाणंति जहा भोग जाती-मयसंकिए चेव जामद्धजामघडियं जामद्धजामदिणपक्खं जायमाणाण जं दुक्खं जाया पुरिसाहिलासा मे जाव आउ सावसेसं जावइयं गोयमा ! तस्स जाव एरिसमणपरिणाम जाव गुरुणो न रयहरणं जाव दुक्खभरक्कंता जाविदियाइं न हायंति जा विहवो ता पुरिसस्स जावेयं चिंतिउंगच्छे जीवंतो सयमवी सक्कं जीवाणं चिय एत्थं ३-९६ ३-९३ ३-१०१ ३-८६ ३-१०३ ६-३०४ ३-४१ ६-१९७ ७-६४ ६-४०० ६-४०२ १-१०५ ६-२८६ ५-११९ ३-७१ १-१८६ २-७३ ६-२८० ३-९१ ६-१०६ ३-९० ६-३३२ ७-१० ७-२४ ४-३ ६-३८९ १-४ ३-७२ ९-९० ३-१०६ ६-३९९ ५-११७ ६-२२७ ६-४०६ २-१५८ ६-३२३ ६-४७ ६-२६८ ४-१ ६-२३८ १-१६५ ४-१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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