Book Title: Agam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra
Author(s): Punyavijay, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Granth Parishad

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Page 277
________________ [३८] वोच्छित्ति वोच्छेद वोढव्व ७-४०,४३ ७-३६ ३-७ २-३,७३ २-७३ वियम्म वियाण विरत्तइ विराहग विराहण विराही विरुज्झए विलल्ल विलेइ विल्लय विव विवरीय २-१३,८ ७-६३ १-१,१२ ५-३,४,१९ ५-१९ ५-२३,२७ २-१९३,१९४ २-६१ ३-१०,७ ३-९,४ ३-३०,९ वोल वोलइ वोसट्ट वोसरह १-१ वोसिरण वोहार वोहारेज्ज २-१८४ ३-४,११ ७-१४ ७-१४ २-१४३ विस २-२०,२ २-११,३३ ३-२८,२ स-उवलद्ध सएसिय संकट्ठाण संकणिज्ज संकर संकीर संकप्पड़ ५-२२ ७-२४ ७-२० १-१४,१३३ ७-६२ २-११.४ ७-२५ संकुड २-२,२० ३-३,८ ४-१२ ८-१९ विस विसंखुलंत विसट्ट विसर विसीयइ विस्सामग विहंग-णाणी विहडइ विहलिय विहाडिय विहीसिलोग विहुय वीमंस वीरुग्ग वुझेह वुत्थ . वुण्ण वुद्धरिज्जइ वेल्लि ४-१२ ८-१६ २-११,७ १-१ ८-७ १-१०,५५ ३-११, १२ १-६,३० ३-३,१० ३-५१ संखुट्ट संघट्ट संघट्टण संघयण संघाडग संघार संचर संचिक्खणग संचिक्खिय संजति संजमिय संडासग संतिय संथार संथुण संदिर संदसिय १-३४ २-९०,१४१ १-२१८ ११-१८,८ ८-३७ ७-५३ ७-१७,१८,२९ २-१५,१० २-१५,७ ५-२,११,२३ ७-१८,३० ७-२३ १-१९८ ८-४ १-७,४५ ७-२७ १-१०६ वेस वेसामंडिय वोच्चिय वोच्छिज्जड़ ४-१३ ८-५ ७-३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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