Book Title: Agam 25 Prakirnak 02 Atur Pratyakhyan Sutra
Author(s): Veerbhadra Gani, Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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IL
પ્રદર્શન
Jain Education International 2010_02
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નં. ૪૭૮૨ सोमसुन्दरसूरिकृताआतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकावचूरिः ।।छ।। संपूर्णीकृता ।छ।।
ડહેલાનો ઉપાશ્રય, જ્ઞાનભંડાર, અમદાવાદ. २३मात : अथातुरप्रत्याख्यानावचूरिलिख्यते । इह सर्वेषां जीवानां...
त : कर्तेति ।८४ ।। इति श्री धर्मघोषसूरिशिष्यश्रीमहेन्द्रसूरिविरचितवृत्त्यनुसारेणश्रीचन्द्रगच्छाधिपभट्टारकप्रभुश्रीपरमगुरुश्री
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श्रीविनाधीश्वरासाजिलनिसामीराजरभर काननियाभनयायमशिष्यवाया।
भयाव्याकवानपरिकसयाराजवछ। महरिविरचिनरसनुमारणानगाधिः।। पनद्यस्कनचुत्रापरपुभयस्यामेमसमरीि।
जराचमरणचजरामरणमवेतानिजरामरणनि सतावाठरसारमानप्रकानकावतराठी
नजरामराम्यहमनदादिकारनेनाम ॥सणीचताळा ॥श्री
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