Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 11
________________ reg Has...66666.368 A86864646....... . .....00A 57-579585505500 5902575/315AMA5237-52447692457251-5352-51ACHA MESSARETVU TRIOSIXE LOK GeneCROIDCtextSXSIX EXESISTRING MMAVAN ३.04 Sàiờời bởờiờờiữ lửi tủ tỡiểờiờ giớiờ 00 00 00 00 000000000 giờ 20 test 498एकादशमांग-विपाक मूत्र का प्रथम श्रुत्स्कन्ध 488+ ॥ एकादशमाङ-विपाक सूत्रम् ॥ ॥ प्रथम-श्रुतस्कन्ध ॥ * प्रथम अध्यायनम् . तेणंकालेणं तेणंसमएणं चंपारणाम णयरीहोत्था वण्णओ ॥ १ ॥ तएणं चंपाएणरीए उत्तरपुरिच्छिम दिसीभाए एस्थणं पुण्णभद्देणामं चेइएहोत्थावण॥२॥तेणंकालेणं तेणं उल काल चौथे भारे में उस समय जिस वक्त यह भाव प्रवर्तते थे तब चम्पा नाम की नगरी थी, उसका वर्णन उपवाइ मूत्र से जानना ॥ १ ॥ उस चम्पा नगरी के उत्तर और पूर्व दिशा के विभाग में ईशान है कौन में यहां पूर्णभद्र नाम का चैत्य था इस का भी वर्णन उववाद सूत्र से जानना ॥२॥ उन काल उस nnnnwwwwnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnrgriwwwwwwws दुःखविपाक का-पहिला अध्ययन-मृगापुत्रका + wwwwwwAN Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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