Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 10
________________ 48 अनुवादक पालनमचारी मुनि श्री अमोलख ऋषिजी महाराज की तरफ से प्राप्त हुई धनपतसिंह बाबू की छपाइ हुई प्रत पर से किया है और गौणता में मेरे. पास की दो प्रतों पर से किया है. छयस्थता के योग से अशुद्धीयों गई हैं सो शुदकर पढीये.. विपाकसूत्र की अनुक्रमणिका. . प्रथम श्रुतस्कन्ध. - ७ समम अध्ययन उम्बरदत्त कुमार का ११ प्रथम मध्यवन-मृगालोदिया का ८ अष्टम अध्ययन-सौर्यदचमच्छी का १२ द्वितीय अध्ययन-रजित कुमार का ९ नवम अध्ययन-देवदत्ताराणी का १३ तृतीय अध्ययन-अमम्गसेन चोरका १० दशम अध्ययन-अंजूराणी का १४ चतुर्व अध्ययन-कट कुमार का २ द्वितीय श्रुतस्कन्छ E५पंचम अध्ययन-बहस्पति दरका १०२ १श्यम अध्ययन-सुबाहु कुमार का १४२ ६ षष्टम अध्ययन-मन्दीसेण कुमार का ११० . आमे नवही अध्ययन संक्षिप्त है। परम पुज्य श्री कहानी ऋषिमहाराज के सम्मंदायके वालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलकऋषिजी में सीर्फ तीन वर्ष में ३२ ही शाखों का हिंदी भाषानुवाद किया, उन ३२ ही शास्त्रों की १०००• १००० प्रतों को सीर्फ पांचही वर्ष में छपवाकर दक्षिण हैद्राबाद निवासी राजा बहादूरलाला.. मुखदेवसायजी न्वालाप्रसादनी ने सब को अमूल्य मम दिया है। प्रकाशक राणाबहादुर गला मुखदेवसहायजी-मार्गमसादनी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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