Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 112
________________ चतुर्थ अध्ययन] [५९ सर्वाङ्गसुन्दर शरीर वाली भद्रा नामक भार्या थी। सुभद्र सार्थवाह का पुत्र व भद्रा आर्या का आत्मज शकट नाम का बालक था। वह भी अन्यून-पंचेन्द्रियों से परिपूर्ण-सुन्दर शरीर से सम्पन्न था। __४ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसढे। परिसा राया य निग्गए। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया, राया वि णिग्गाओ। ४-उस काल, उस समय साहंजनी नगरी के बाहर देवरमण उद्यान में श्रमण भगवान् महावीर पधारे। नगर से भगवान् के दर्शनार्थ जनता और राजा निकले। भगवान् ने धर्मदेशना दी। धर्मदेशना श्रवण कर राजा और प्रजा सब पुनः अपने अपने स्थान पर चले गये। शकट के पूर्वभव का वृत्तान्त ५ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अन्तेवासी जाव' रायमग्गमोगाढे। तत्थ णं हत्थी, आसे बहवे पुरिसे पासइ। तेसिं च पुरिसाणं मझगए पासइ एगं सइत्थीयं पुरिसं अवओडयबंधणं उक्खित्तकण्णनासं जाव घोसिज्जमाणं। चिंता तहेव जाव भगवं वागरेइ। . ५—उस काल तथा उस समय में श्रमण भगवान् महावीर के ज्येष्ठ अन्तेवासी श्री गौतमस्वामी (पूर्ववत् भिक्षा ग्रहण करके) यावत् राजमार्ग में पधारे। वहाँ उन्होंने हाथी, घोड़े और बहुतेरे पुरुषों को देखा। उन पुरुषों के मध्य में अवकोटकबन्धन (जिस बन्धन में दोनों हाथों को मोड़कर पृष्ठ भाग पर रज्जु के साथ बाँधा जाय, उस बन्धन) से युक्त, कटे कान और नाक वाले यावत उदघोषणा सहित एक सस्त्रीक (स्त्री सहित) पुरुष को देखा। देखकर गौतमस्वामी ने पूर्ववत् विचार किया (यह पुरुष नारकीय वेदना भुगत रहा है, आदि) और भगवान् से आकर प्रश्न किया। भगवान् ने उत्तर में इस प्रका ६–एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे नाम नयरे होत्था। तत्थ सीहगिरी नाम राया होत्था, महया हिमवंतमहंतमलयमंदरसारे। तत्थ णं छगलपुरे नयरे छण्णिए नामं छागलिए परिवसइ।अड्ढे, अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। ६—हे गौतम ! उस काल तथा उस समय में इसी जम्बूद्वीप नामक द्वीप के अन्तर्गत भारतवर्ष में छगलपुर नाम का एक नगर था। वहां सिंहगिरि नामक राजा राज्य करता था। वह हिमालयादि पर्वतों के समान महान् था। उस नगर में छण्णिक नामक एक छागलिक-बकरों के मांस से आजीविका करने वाला कसाई रहता ज्ञा, जो धनाढ्य, अधर्मी यावत् दुष्प्रत्यानन्द था। ७ तस्स णं छण्णियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एलयाण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य सूयराण य पसयाण य सिंघाण य हरिणाण य मयूराण य महिसाण य सयवद्धाण यसहस्सबद्धाण य जूहाणि बाडगंसि संनिरुद्धइं चिटुंति।अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसा दिनभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खेमाणा संगोवेमाणा चिटुंति। अन्ने य से बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य जीवियाओ ववरोवेंति, ववरोवित्ता मंसाइं १. दि. अ. सूत्र-६

Loading...

Page Navigation
1 ... 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214