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[विपाकसूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध त्तत्ततंबं पज्जेइ, अप्पेगइए तउयं पज्जेइ, अप्पेगइए सीसगं पज्जेइ, अप्पेगइए कलकलं पज्जेइ, अप्पेगइए खारतेल्लं पजेइ, अप्पेगइयाणं तेणं चेव अभिसेयंग करेइ।
अप्पेगइए उत्ताणए पाडेइ, पाडित्ता, आसमुत्तं पज्जेइ, अप्पेगइए हत्थिमुत्तं पज्जेइ, जाव एलमुत्तं पज्जेइ।
अप्पेगइए हेट्ठामुहे पाडेइ, छडछडस्स वम्भावेइ, वम्भावित्ता अप्पेगइए तेणं चेव ओवीलं दलयइ।
अप्पेगइए हत्थंदुयाइं बन्धावेइ, अप्पेगइए पायंदुए बन्धावेइ, अप्पेगइए हडिबन्धणं करेइ, अप्पेगइए नियडबन्धणं करेइ, अप्पेगइए संकोडियमोडिययं करेइ, अप्पेगइए संकलबंधणं करेइ।
अप्पेगइए हत्थछिन्नए करेइ जाव सत्थोवाडियं करेइ, अप्पेगइए वेणुलयाहि य जाव वायरासीहि य हणावेइ।
अप्पेगइए उत्ताणए कारवेइ, कारेत्ता उरे सिलं दलावेइ, तओ लउडं छुहावेइ, छुहावित्ता पुरिसेहिं उक्कंपावेइ। अप्पेगइए तंतीहि य जाव सुत्तरज्जुहि य हत्थेसु पाएसु य बंधावेइ, अगडंसि ओचूलयालगं पज्जेइ, अप्पेगइए असिपत्तेहि य जाव कलंबचीरपत्तेहि य पच्छावेइ, पच्छावेत्ता खारतेल्लेणं अभिगावेइ।
अप्पेगइए निडालेसु य अवदूसु य कोप्परेसु य जाणुसु य खलुएसु य लोहकीलए य कडसक्कराओ य दवावेइ, अलिए भंजावेइ।
अप्पेगइए सूईओ डंभणाणि य हत्थंगुलियासुय पायंगुलियासुयकोट्टिल्लएहि य आउडावेइ, आउडावेत्ता भूमिं कंडूयावेइ।
अप्पेगइए सत्थेहि य जाव ( अप्पेगइए पिप्पलेहि ए, अप्पेगइए कुहाडेहि य, अप्पेगइए) नहच्छेयणेहि य अंगं पच्छावेइ, दब्भेहि य कुसेहि य ओल्लबद्धेहि य वेढावेइ, वेढावेत्ता आयवंसि दलयइ, दलइत्ता सुक्के समाणे चडचडस्स उप्यावेइ!
८—तदनन्तर वह दुर्योधन चारकपाल सिंहरथ राजा के अनेक चोर, परस्त्रीलम्पट, ग्रन्थिभेदक-गांठकतरो, राजा के अपकारी—दुश्मनों, ऋणधारक—ऋण लेकर वापिस नहीं करने वालों, बालघातकों, विश्वासघातियों, जुआरियों और धूर्त पुरुषों को राजपुरुषों के द्वारा पकड़वाकर ऊर्ध्वमुख–सीधा-चित्त गिराता है और गिराकर लोहे के दण्डे से मुख को खोलता और खोलकर कितने एक को तप्त तांबा पिलाता है, कितनेएक को रांगा, सीसक, चूर्णादिमिश्रित जल अथवा कलकल करता हुआ अत्यन्त उष्ण जल और क्षारयुक्त तैल पिलाता है तथा कितनों का इन्हीं से अभिषेक कराता है।
कितनों को ऊर्ध्वमुख गिराकर उन्हें अश्वमूत्र हस्तिमूत्र यावत् भेड़ों का मूत्र पिलाता है। कितनों को अधोमुख गिराकर छल छल शब्द पूर्वक (छड़-छड़ शब्द पूर्वक) वमन कराता है और कितनों को उसी के द्वारा पीड़ा देता है। १. इस पद के स्थान में 'घलघलस्स' तथा 'बलस्स' पाठ भी आता है।