Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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तइयं अज्झयणं
सू० १-२६
पृ० ६५७-६६७ उक्खेव-पदं १, अदिण्णादाणस्स तीसनाम-पदं २, चोरिय-चोरपगार-पदं ३, रणो परधणहरण-पदं ४, धणत्थं जुद्ध-पदं ५, लूटाक-पदं ६, सामुद्दियचोर-पदं ७, दारुणचोर-पदं ८, अदिणादाणस्स फलविवाग-पदं ६, निगमण-पदं २६ ।
चउत्थं अज्झयणं
सू०१-१५
पृ० ६६८-६७७ उक्खेव-पदं १, अबभस्स तीसनाम-पदं २, सुरगणस्स अबंभ-पदं ३, चक्कवट्टिस्स अबंभ-पदं ४, बलदेव-वासुदेवस्स अबंभ-पदं ५, मंडलिय-नरवरेंदस्स अबंभ-पदं ६ जूगलियाण लावग्गनिरूवगपूरस्सर अबभ-पदं ७, जुगलिगीणं लावण्णनिरूवणपुरस्सरं अबंभ-पदं ८, अबंभस्स फलविवाग-पदं, निगमण-पदं १५ ।
पंचमं अज्झयणं
सू०१-१०
पृ०६७८-६८२ उक्खेव-पदं १, परिग्गहस्स तीसनाम-पदं २, देवाणं परिग्गह-पदं ३, मणस्साणं परिग्गह-पदं ४, परिग्महत्थं सिक्खा-पदं ५, परिग्गहीणं पवित्ति-पदं ६, परिग्गहस्स फलविवाग-पदं ८, निगमण-पदं १०।
छटठं अज्झयणं
सू० १-२५
पृ०६८३-६८८ उक्खेव-पदं १, अहिंसा-पज्जवनाम-पदं ३, अहिंसा-थुइ-पदं ४, अहिंसा-माहप्प-पदं ६, उंछगवेसणा-पदं ७, अहिंसाए पंचभावणा-पदं १६, निगमण-पदं २२ ।
सत्तमं अज्झयणं
सू० १-२५
पृ० ६८६-६६३ उक्खेव-पदं १, सच्चस्स माहप्प-पदं २, सच्चस्स थुइ-पदं १०, सावज्जसच्च-पदं १२, अणवज्जसच्च-पदं १४, सच्चस्स पंचभावणा-पदं १६, निगमण-पदं २२ ।
अट्ठम अझयणं
सू० १-१७
पृ० ६६४-६९७ उक्खेव-पदं १, अदत्तस्स अग्गहण-पदं २, अदत्तादाणवेरमणस्स अजोग्यता-पदं ५, अदत्तादाणवेरमणस्स जोगिता-पदं ६, अदतादणवेरमणस्स पंचभाबणा-पदं ८, निगमण-पदं १४।।
नवमं अज्झयणं सू० १-१५
पृ० ६६८ ७०३ उक्खेव-पदं १, बंभचेरमाहाप-पदं २, बंभचेरथिरीकरण-पदं ४, बभचेरस्स पंचभावणा-पदं
६, निगमण-पदं १२ । दसमं अज्झयणं
सू० १-२३
पृ० १००४-७१३ अक्खेव-पदं १, अकप्पदव्वजाय-पदं ३, असमिहि-पदं ६, अकप्पभोयण-पदं ७, कप्पभोयण
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