Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५
१११११८
शश६
११११४६ १.१६/४७
२०४६ ११११४६ ११११४८ १६१६४६ १११११४५ उवा० २१४०
१।११४८
शश१६४ १।११६७,११५३५२ १३५१६:१।३४
आहेवच्चं जाव विहरइ
११३८ आहेवच्चं जाव विहइ
१११८/२० आहेवच्चं जाव विहरसि
१११११५७ इट्ठा जाव मणामा
१११६७० इट्ठा तं चेव
१६१६:४८ इट्टाहिं जाव आसासेइ
११६।१३१ इटाहिं जाव एवं
१८१२०३ इटाहिं जाव वग्गूहिं
१८६७ इट्ठाहि जाव समासासे इ
१११।५० इठे जाव से णं
११५/२० इड्ढी जाव परक्कमे
११८७६११६२६५ इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्या ११७१६:२।१११२ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ १।१४।४० इहमागए जाव विहरइ
११५१५३ ईसर जाव नीहरणं
१११४१५६ ईसर जाव पभितीणं
१७६ ईहामिय जाव भत्तिचित्तं
१।११८६१८४६ उक्किट्ठ जाव समुद्दरवभूयं
१४१८४० उक्किट्ठाए जाव देवगईए
१।१६।२०४,२०६ उक्किट्ठाए जाए विज्जाहरगईए १४१६१६० उक्किट्ठाए प्फ कुम्मगईए
१:४१२१ उक्खेवओ तइयवग्गस्स
२१३१ उक्खेवओ पढमझयणस्स
२॥५॥३ उज्जलंजाव दुरहियासं
१।११६३ उज्जला जाव दाहवरकंतीए
१११११८७ उज्जला जाव दुरहियासा
११५१०६:१।१६।२०,११६४५ उज्जाणे जाव विहरइ
१११६३२१ उत्तरपरस्थिमे दिसीभाए तिदंडयं जाव धाउरत्ताओ
श५८० उत्तरिज्जेहि जाव चिट्ठामो
१८१७६ उत्तरिज्जेहिं जाव परम्मुहा । ११८१७८ उदगपरिफोसिया जाव भिसियाए ११८१५१ उप्पलाइं जाव सहस्सपत्ताई
१।२।१४ उम्मुक्कबालभावा जाव उक्किट्ठसरीरा १६१६४१२८ उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण
१८३८,११६।३७
१३११२५
११८१६७ राय० सू० १० १।४।२१
वृत्ति २।२।१
२।२।३ शश१६२ १११११६२
१।१।१६२ १६१६१३१६
भ० २।५२,११५।५२
शक्षा१७७ ११५१७७
श८।१४१ राय० सू० ६७
१।१६।३७ वि०१४।३६
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