Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ खंतीए जाव बंभचेरवासेणं खिज्जणाहि य जाव एवमट्ठ खीरधाईए जाव गिरिकंदर मल्लीणा गंध जाव उस्मुक्कं गंध जाव पeिविसज्जेइ गंध जाव सक्कारेत्ता गंधव्वेहि जग विहरति गज्जयं जाव थणियस दे गणनायग जाव आमंतेंति गणिमस्स जाव चउव्विहभंडगस्स गन्भस्स जाव विर्णेति गय० मवलगुलिये जाव खुरधारेणं गवल जाव एडेमि गहाय जब पटियए गामघा वा जाव पंथकोट्टि गामागर जाव अणुपविस सि गामागर जाय आहिदह गिहामि जाब मग्गणगवेसणं गुणे० किं चाले जाव नो परिचय डएस जाय संवसावेड चउत्थ जाव भावेमाणे चत्व जाव विहरद चउत्थ जाव विहरति चउत्थस्स उस्खेवओ चंपनपायवे ० चच्चर जाव महापपहेसु चरणा वा जाब पञ्चप्पियंति चरमाणा जाव जेणेव चरमाणे जाव जेमेव चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे जाव विहरइ चवलं नहेहिं चारगसोहणं जाव ठिइपडिय Jain Education International to ११०१५ १।१८ १४ १ १६ २६ १२८/६४ E १६७/६ १।१६।१५२ १२२६६ १1१1८१ १/८/६६ १२/१७ १८६३ १६१६ १६३७ १।१८:३९ १।१८/२४ १ १६ २२९ १।१४/४३ : १।१७।१७ १९१२/२६ १२०/७१ १।१२।१९ १८१६ १।५।१०१:२।१।३३ १८१७,२५ २४११ २०१६/४१ १ १/६७ १:१५४७ १२६६ १२५ १० १५/१०८ १।४।१७ १।१४।३२,३४ For Private & Personal Use Only १।१०१३ १११८/१० आधारचूला १५३१४ १११।३० १८१६० १1१1३० १।१६।१५० 815108 ११:२४ १२०६६ १/२/१७ १.१.६७ उवा० २।२२ १।९।१६ १११८/३८ १।१८२२ १८५८ ११५८ १।२।२७,२९ १८७४ १।१२।११ १।१।१९५ १।१।१६५ १।१।१९५ २२।१ १।१।१०५ १।१:३३ १/१५/६ ११११४ १।१४ ११०४ १।४।१४ १२१२७६-७६ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176