Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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नाइ उष् य कुल जान विहराहि ११७२५
नाइ जाव आमंत
१११४१५३
नाइ जाव नगरमहिलाओ
नाइ जान परियणं
नाइ जान परियणेण
नाइ जाव परिवुडे
नाइ बाब संपरिवुडे
नाम का जाव परिभोग
नाम जान परिभोग
नासानीसासवायवोज्भं जाव
हंस लक्खणं
निक्लेव
निक्लेवओ प्रभवगस्स
निक्खेवओ चउत्थवग्गस्स
निक्खेवओ दस मवग्गस्स
निक्लेव पढमभयणस्स
निक्लेवओ विश्वग्गस्स
निगंधा जान पडिसुर्णेति निधाणं जाव विहरितए
निगंधी वा
निग्गंधी वा जाव पव्वइए
निग्गंथे वा जाव पव्वइए
निचो वा
निग्गंधी वा जाव पंचसु निम्गंध वा २ जाव विहरिस्स
निट्ठियं जाव विज्झायं
निप्पाणे जाव जीवविप्पज ढे
नियग०
निम्बतियनामधेन्वे जाव चाउदंते
निव्वाचासि जाव परिबडइ
निसंते जाव अभण ण्णाया निसम्म जं नवरं महब्बलं कुमारं रज्जे ठावेमि
निसीब जार कुमलोदतं
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