Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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चारुवेसा जाव पडिरूवा
चालितए जाव विप्परिणामित्तए
चिट्ठइ जाव उट्ठाए
चिटुइ जाव संजमेणं
चित्तेह जाव पच्चष्पिणह
चेइए जाव अहापडिरूवं
चेइए जाव विहरइ
चेइए जाव संजमेणं
चोक्खा जाव सुहासणवरगया
चोरनायगं जाव कुडंगे
चोरविज्जाओ य जाव सिक्खाविए
ajaणं जाव विहरइ
छछट्टे जाव विहरइ छछट्टेणं जाव विहरितए
छट्ठम जाव विहरइ
जणवयं जाव नित्थाणं
जाव पज्जुवासई जाव सणियं
जाव समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे
जाव हावभाव
११
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११२८
१८७६
१।१।१५१
१।१।१६३
११११७
११२६६
११११६४
२१/३
१।१६।१५२
१११८१३०
१।१८।२८
१।१३/३६
१।१६।१०८
१/१६/१०७
जहा पोट्टिला जाव परिभाएमाणी जहा मंडुए से लगस्स जाव बलिय सरीरे
जाए
१११६/२४-२६
जहा मल्लिनाए जाव उवायमाणा
११७१११
१८३७
जहा महबले जाव परिवड्डिया जहा मागंदियदारगाणं जाव कालियवाए १ । १७/६ जहा बद्ध माणसामी नवरं नवहत्युस्सेहे ० २।१।१६ जहा सूरियाभो जाव भासमणपज्जत्तीए २११४०
जहा सेलगस्स जाव दाहवक्कंतीए
१११६/२०
जायं च जाव अणुवड्ढे मि
१२/१४
११४ ४६
जाया जाब पडिलाभेमाणी जाव एवं चैव पल्हायणिज्जे
१।१२।२३
जाव जहा
१४१२२
१।५।१७
१।४।१६
१।१६ १०५
१११८३२
११६/२
१५६३,६४
१८३१२१
१।१।१७
११८१७६
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१।१।१५०
१।१ । १५१
१।१।२३
१ १/४
११११४
१ । १४
१।२।१४
१११८२१
१।१८२५
१।१३।३६
१।१६।१०६
१।१६।१०६
१११।१६५
१।१८२२
१/१४/३८
१।५।११४-११६ ११८७२ राय० सू० ८०४ १६६ ओ० सू० १६; वाचनान्तर पृ० १४०
राय० सू० ७६७
१।५।१०६
११२।१२
१२५/४७
१।१२।२२
११२/७६
११२६६
१।४।१३
राय० सू० ६६३; ११५।४७
१८११७
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