Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उम्मुकबालभावे जाव जोव्वणग०
उरालस्स के सिध मं जाव सुमिणस्स
उरालाई जाव भुंजमाणा
उरालाई जाव विहरइ उरालाई जाव विहरिज्जामि उरालाई जाव विहरिस्सइ उराले जाव तेयलेस्से
उराले तहेव जाव भासं उववेए जाव फासेणं
उव्वत्तिज्जभरणे जाव टिट्टियावेज्जमाणे उब्वत्तेइ जाव टिट्टियावेइ
उब्वेतेति जाव दंतेहि निक्खुडेंति जाव करेत्तए
उव्वत्तेंति जाव नो चेव णं संचाएंति करेत्तए एगदिसि जाव वाणियगा
एगयओ जहा अरहन्तए जाव लवणसमुद्द एज्जमाणि जाव निवे सेह
एवं अत्थेणं दारेणं दासेहि पेसेहिं परियणेणं एवं कुलत्था वि भाणियश्वा । नवरं इम नाणत्तं - इत्थिकुलत्था य धन्नकुलत्था य । इत्यिकुलत्था तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -- कुलबहुयाइ य कुल माउयाइ व कुलधूयाइ या धन्नकुलत्था तहेव
एवं जहा मल्लिणाए
एवं जहा विजओ तहेव सव्वं जाव रायगिहस्स
एवं जहा सूरियाभस्स जाव एवं एवं जहेव तेलिणाए सुव्वयाओ तहेव
समोसढाओ तहेव संघाडओ जाव अणुपविट्टे
तव जाव सूमालिया
एवं जहेब राई तहेव रयणी वि
एवं जाव घोसस्स
एवं जाव सागरदत्तस्स
एवं पत्तियामि गं रोएमि गं
एवं पाएहि सीसे पोट्ट कार्यसि एवं पायंगुलियाओ पायंगुए वि horeaकुलीओ वि नासापुडाई
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राय० सू० ६६८
१११४१४०-४३ २१११४७-५०
ठाणं २१३५६-३६२
१।१६/६३-६६
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