Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पण्हावागरणाइ
१७. ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा, उल्लंबिज्जति रुक्खसालेहि केई कलुणाई
विलवमाणा, अवरे चउरंग-धणियबद्धा पव्वयकडगा पमुच्चंते दूरपात-बहुविसमपत्थरसहा, अण्णे य गयचलण-मलण-निमद्दिया कीरंति पावकारी, अट्ठारसखंडिया य कीरति मुंडपरसूहि, केई उक्कत्तकण्णो?नासा' उप्पाडियनयणदसणवसणा जिब्भंछिय-छिण्णकण्णसिरा पणिज्जते', छिज्जते य असिणा, निन्विसया छिण्णहत्थपाया य पमुच्चंते, जावज्जीवबंधणा य कीरंति केइ परदव्वहरणलुद्धा कारग्गलनियलजुयलरुद्धा चारगाए-हतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणनिरक्कया निरासा बहुजणधिक्कारसद्दलज्जाविता अलज्जा' अणुबद्धखुहापरद्धा सीउण्हतण्हवेयणदुहट्टघट्टिय-विवष्णमुह-विच्छवीया विहलमइलदुब्बला किलता कासंता वाहिया य प्रामाभिभूयगत्ता परूढनहकेसमंसुरोमा छग-मुत्तम्मिणियगम्मि खुत्ता तत्थेव मया अकामका बंधिऊण पादेसु कड्डिया खाइयाए
छुढा ।। १८. तत्थ य बग-सुणग-सियाल-कोल-मज्जारवंद-संदंसगतुड-पक्खिगणविविहमुहसय
विलुत्तगत्ता कय-विहंगा ।। १६. केइ किमिणा य कुथितदेहा अणि?वयणेहि सप्पमाणा-सुठ्ठकयं जं मउति
पावो, तुटेण जणेण हम्ममाणा" लज्जावणका य होंति सयणस्सवि दीहकालं
मया संता।। २०. पुणो परलोगसमावण्णा नरगे गच्छंति निरभिरामे अंगारपलित्तककप्प-अच्चत्थ
सीतवेदण-अस्सामोदिण्ण-सततदुक्खसयसमभिदुते ॥ ततोवि उवट्टि या समाणा पुणोवि पवज्जति तिरियजोणि । तहिपि निरयोवम"
अणुभवंति वेयणं ते ॥ २२. अणंतकालेण जति नाम कहिंचि मणुयभावं लभंतिणेगेहि णिरयगतिगमण
तिरियभव-सयसहस्स-परियट्टएहि । तत्थवि य भवंतऽणारिया नीचकुलसमुप्पण्णा आरियजणेवि लोगवज्झा तिरिवखभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं
१. पमुच्चति (ख, घ)।
८. तण्हा° (क)। २. उबिखत ° (ख); उक्कित्त° (घ, च)। ६. संडास तुंड (क, घ, च)। ३. प्रणीयन्ते आघातस्थानमिति गम्यते (व)। १०. भण्णमाणा (क)। ४. जावज्जीय° (क)।
११. निरओवमं (ख)। ५. निरिक्कया (क, ग)।
१२. अणुहवंति (क, घ)। ६. अमज्जा (क),
१३. लहंति (ख, घ, च)। ७. पारद्ध (ख, ग, वृ); परद्ध (घ, वृपा)। १४. परियहि (ग)।
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