Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Panhavagarnaim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
पण्हावागरणाइ
अदत्तादाणवेरमणस पंचभावणा-पदं ८. तस्स इमा पंच भावणा ततियस्स वतस्स होंति परदव्वहरणवेरमण-परि
रक्खणट्टयाए । ६. पढम-देवकुल-सभ-प्पवा-पावसह-रुक्खमूल-पाराम-कंदरा - आगर-गिरिगह
'कम्मत-उज्जाण-जाणसाल-कुवितसाल-मंडव - सुण्णघर - सुसाण-लेण-पावणे, अण्णमि य एवमादिर्याम दगमट्टिय-बीज-हरित-तसपाण-असंसत्ते अहाकडे फासुए विवित्ते पसत्थे उवस्सए होइ विहरियव्वं । आहाकम्म बहुले य जे से आसित्त-संमज्जिप्रोसित्त-सोहिय-छायण-दुमण-लिंपणअणलिंपण-जलण-भंडचालण', अंतो बहिं च असंजमो जत्थ वट्टती', संजयाण अट्टा 'वज्जेयव्वे हु उवस्सए” से तारिसए सुत्तपडिकुटे । एवं विवित्तवासवसहिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा, निच्चं अहिकरणकरण-कारावण-पावकम्मविरते दत्ताणुण्णाय-प्रोग्गहरुई । बितियं-- पारामुज्जाण-काणण-वणप्पदेसभागे जं किंचि इक्कडं व कढिणगं व जंतुगं व 'परा-मेरा" - कुच्च - कुस - डब्भ - पलाल - मूयग - वल्लय"-पुष्प- फलतय-प्पवाल-कंद-मूल-तण-कट्ठ-सक्कराई गेण्हइ सेज्जोवहिस्स अट्ठा, न कप्पए प्रोग्गहे अदिण्णंमि गेण्हिउं जे । हणिहणि ओग्गहं अणुण्णविय गेण्हियन्वं । एवं प्रोगहसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा, निच्च अहिकरण-करणकारावण-पावकम्मविरते दत्ताणुण्णाय-प्रोग्गहरुई। ततियं - पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगट्टयाए रुक्खा न छिदियव्वा, न य छेदणेण" भेयणेण य सेज्जा कारेयव्वा । जस्सेव उवस्सए वसेज्ज सेज्जं तत्थेव गवेसेज्जा, न य विसमं समं करेज्जा, न निवाय"-पवाय-उस्सुकत्तं, न डंसमसगेसु खुभियव्वं, अग्गी धूमो य न कायव्यो। एवं संजमबहुले संवरबहुले संवुडबहुले समाहिबहुले धीरे कारण फासयंते सययं अज्झप्पज्झाणजुत्ते समिए एगे चरेज्ज धम्म ।
१. वसहि (क, ख, घ)।
७. वदृति (च)। २. गिरिगुहा (च)।
८. बज्जेयव्यो हु उवस्सओ (ग)। ३. कम्मतुज्जाण (क, ग, घ), कम्मं उज्जाण ६. दत्तमणुण्णाय (क, ख, ग, घ, च); सर्वत्र ।
१०. ° रुती (क, ग)। ४. लयण (ख)।
११. परमेर (क); परंमेरा (ख); परमेरा (घ)। ५. मट्टिया (ख, घ)।
१२. पन्वय (ख, घ); वल्वज: तृणविशेषः (वृ)। ६. एतेषां समाहारद्वन्द्वः विभक्तिलोपश्च दृश्यः १३. छेदण (ख, ग, घ, च)।
१४. निव्वाय (ख)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176