Book Title: Agam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Raja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari

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Page 7
________________ LARKAR आभारी-मात्मा RAM हिन्दी भाषानुवादक 112 ___कच्छ देश पावन कर्ता मोटी पक्ष के परम - पूज्य श्री कर्मसिंहजी महाराज के शिष्यार्य महात्मा कविवर्य श्री नागचन्द्रजी महाराज! 57 इस शास्त्रोद्धार कार्य में आद्योपान्त आप श्री प्राचिन शुद्ध शास्त्र, हुंडी,गुटका और समय २पर 6] आवश्यकीय शुभ सम्मति द्वारा मदत देते रहनेसेही में इस कार्य को पूर्ण कर सका. इस लिये केवल में ही नहीं परन्तु जो जो भव्य इन शास्त्रोद्वारा लाभ प्राप्त करेंगे वे सब ही आप के भभारी श %8: 2312 शुद्धाचारी पूज्य श्री खूबा ऋषिजी महाराज के शिष्यचर्य,मार्य मुनि श्री चेना ऋषिजी महाराजके DM शिष्यवर्य बालब्रह्म वारी पण्डित मुनि श्रीअमोलक ऋषिजी महाराज आपने बडे साहस से शास्त्रोद्धार जैसे महा परिश्रम वाले कार्य का जिस उत्साहसे स्वीकार किया था उस ही उत्साह से तीन वर्ष जितने स्वप समय में अहर्निश कार्य को अच्छा बनाने के शुभाशय से सदैव एक भक्त भोजन भीर दिन के सात घंटे लेखन में व्यतीत कर पूर्ण किया. और ऐसा सरल बनादिया कि कोई भी हिन्दी भाषज्ञ सहज में समज सके, ऐसे ज्ञानदान के महा उपकार तल दबे हुओ हम आप के बडे अभारी हैं. संघकी तर्फ से. PER245२२५२५५५ । होंगे. ४२११२आपका अमाल ऋषिH४ TAH मुखदेव सहाय ज्वाला प्रसाद Move Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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