Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-२४, वग्गो - ,सत्तंसतं- , उद्देसो-२
असंखेज्ज-वासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जंति? गोयमा! संखेज्जवासाठय० जाव उववज्जंति, असंखेज्जवासाठय0 जाव उववज्जंति।
असंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते! केवतिकालठ्ठितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्सद्रुितीएस, उक्कोसेणं तिपलिओवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा।
एवं असंखेज्जवासाठयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिन्नि गमगा नेयव्वा, नवरं सरीरोगाहणा पढम-बितिएसु गमएसु जहन्नेणं सातिरेगाइं पंच धणुसयाई, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं। सेसं तं चेव। ततियगमे ओगाहणा जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई, उक्कोसेण वि
तिण्णि गाउयाइं। सेसं जहेव तिरिक्खजोणियाणं।
सो चेव अप्पणा जहन्नकालठ्ठितीओ जाओ, तस्स वि जहन्नकालठितीय तिरिक्खजोणियसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसु वि गमएस जहन्नेणं सातिरेगाइं पंच धणुसयाई, उक्कोसेण वि सातिरेगाइं पंच धणसयाइं। सेसं तं चेव।
सो चेव अप्पणा उक्कोसकालछितीओ जाओ, तस्स वि ते चेव पच्छिल्लगा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहन्नेणं तिन्नि गाउयाई, उक्कोसेण वि तिन्नि गाउयाई। अवसेसं तं चेव।
जइ संखेज्जवासाउयसन्निमणुस्सेहिंतो उववज्जइ किं पज्जत्तासंखेज्जवासाउय0 अपज्जत्तासंखेज्जवासाठय0? गोयमा! पज्जत्तासंखेज्ज0, नो अपज्जतासंखेज्ज।
पज्जत्तासंखेज्जवासाठयसण्णिमणुस्से णं भंते! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते! केवतिकालठितीएस उववज्जेज्जा? गोयमा! जहन्नेणं दसवाससहस्सट्ठितीएस्, उक्कोसेणं सातिरेगसागरोवमट्ठितीएसु उववज्जेज्जा।
ते णं भंते! जीवा0? एवं जहेव एएसिं रयणप्पभाए उववज्जमाणाणं नव गमका तहेव इह वि नव गमगा भाणियव्वा, णवरं संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायव्वो, सेसं तं चेव। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
*चवीसइमे सते बीइओ उद्देसो समतो.
0 तइओ उद्देसो 0 [८४४] रायगिहे जाव एवं वयासि
नागकुमारा णं भंते! कओहिंतो उववज्जति? किं नेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरि-मणु-देवेहितो उववज्जंति? गोयमा! नो णेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिय-मणुस्सेहिंतो उववज्जति, नो देवेहिंतो उववज्जंति।
जदि तिरिक्ख०? एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एतेसि पि जाव असण्णि ति।
जदि सन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो0 किं संखेज्जवासाठय0, असंखेज्जवासाठय0? गोयमा! संखेज्जवासाठया, असंखेज्जवासाठय० जाव उववज्जंति।
असंखिज्ज-वासाठय-सन्नि-पंचेंदिय-तिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उवव
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[428]
[५-भगवई
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