Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-२६, वग्गो- ,सत्तंसतं- , उद्देसो-३
0 तइओ उद्देसो0 [९८२]परंपरोववन्नए णं भंते! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए0, पढम-बितिया।
एवं जहेव पढमो उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नएहि वि उद्देसओ भाणियव्वो नेरइयाइओ तहेव
नवदंडगसंगहितो। अट्ठण्ह वि कम्मपगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स अहीणमतिरित्ता नेयव्वा जाव वेमाणिया अणागारोवउत्ता। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
*छव्वीसइमे सते तइओ उद्देसो समतो.
0 चउत्थो उद्देसो0 [९८३]अणंतरोगाढए णं भंते! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी0 पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए0, एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं नवदंडगसंगहितो उद्देसो भणितो तहेव अणंतरोगाढएहि वि अहीणमतिरित्तो भाणियव्वो नेरइयाईए जाव वेमाणिए। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला
छव्वीसइमे सते चउत्थो उद्देसो समतो.
0 पंचमो उद्देसो0 [९८४]परंपरोगाढए णं भंते! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी0? जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
*छव्वीसइमे सते पंचमो उद्देसो समत्तो
0 छट्ठो उद्देसओ० [९८५]अणंतराहारए णं भंते! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी0 पुच्छा। एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
*छव्वीसहमे सते छठो उहेसो समतो.
0सत्तमो उद्देसो [९८६]परंपराहारए णं भंते! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी० पुच्छा। गोयमा! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला
छवीसइमे सते सत्तमो उहेसो समतो
___0 अट्ठमो उद्देसओ० [९८७]अणंतरपज्जत्तए णं भंते! नेरतिए पावं कम्मं किं बंधी0 पुच्छा। गोयमा! एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसं। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला
छटवीसइमे सते अठ्ठमो उद्देसो समतो. [दीपरत्नसागर संशोधितः]
[508]
[५-भगवई
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