Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-२६, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१
नेरइए णं भंते! वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी, बंधइ0? एवं नेरइयाइया जाव वेमाणिय त्ति, जस्स जं अत्थि। सव्वत्थ वि पढम-बितिया, नवरं मणुस्से जहा जीवे।
जीवे णं भंते! मोहणिज्जं कम्मं किं बंधी, बंधति ? जहेव पावं कम्मं तहेव मोहणिज्जं पि निरवसेसं जाव वेमाणिए।
[९८०]जीवे णं भंते! आउयं कम्मं किं बंधी बंधति0 पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए बंधी० चउभंगो।
सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा। अलेस्से चरिमो।
कण्हपक्खिए णं0 पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए बंधी, बंधति, बंधिस्सति। अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति।
सुक्कपक्खिए सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा।
सम्मामिच्छादिट्ठी0 पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, न बंधिस्सति।
नाणी जाव ओहिनाणी चत्तारि भंगा।
मणपज्जवनाणी0 पुच्छा। गोयमा। अत्थेगतिए बंधी, बंधति, बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, बंधिस्सति; अत्थेगतिए बंधी, न बंधति, न बंधिस्सति।
केवलनाणे चरिमो भंगो। एवं एएणं कमेणं नोसन्नोवउत्ते बितियविहूणा जहेव मणपज्जवनाणे। अवेयए अकसाई य ततिय-चउत्था जहेव सम्मामिच्छते। अजोगिम्मि चरिमो। सेसेसु पएसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोवउत्ते।
नेरतिए णं भंते! आउयं कम्मं किं बंधी0 पुच्छा। गोयमा! अत्थेगतिए0 चत्तारि भंगा। एवं सव्वत्थ वि नेरइयाणं चत्तारि भंगा, नवरं कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढम-ततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततिय-चठत्था।
असुरकुमारे एवं चेव, नवरं कण्हलेस्से वि चत्तारि भंगा भाणियव्वा। सेसं जहा नेरतियाणं। एवं जाव थणियकुमाराणं। पुढविकाइयाणं सव्वत्थ वि चत्तारि भंगा, नवरं कण्हपक्खिए पढमततिया भंगा। तेउलेस्से0 पुच्छा। गोयमा! बंधी, न बंधति, बंधिस्सति। सेसेसु सव्वेसु चत्तारि भंगा। एवं आउकाइय-वणस्सइकाइयाण वि निरवसेसं। तेउकाइय-वाउकाइयाणं सव्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा।
बेइंदिय-तेइंदिय-चरिंदियाणं पि सव्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा, नवरं सम्मत्ते नाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ततियो भंगो।
पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा। सम्मामिच्छत्ते ततिय-चउत्था
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[506]
[५-भगवई
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