Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 511
________________ सतं-२६, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१९ तेउकाइय-वाउकाइयाणं सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। बेइंदिय-तेइंदिय-चतुरिंदियाणं एवं चेव, नवरं सम्मत्ते ओहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे, एएसु चसु वि ठाणेसु ततियो भंगो। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छते ततियो भंगो। सेसपएस् सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। मणुस्साणं सम्मामिच्छते अवेयए अकसायिम्मि य ततियो भंगो, अलेस्स केवलनाण अजोगी य न पुच्छिज्जंति, सेसपएस सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया जहा नेरतिया। नामं गोयं अंतराइयं च जहेव नाणावरणिज्जं तहेव निरवसेसं। सेवं भंते! सेवं भंते! जाव विहरति || २६.११ उद्दे० ।। ०-छवीसइमं सयं समत्तं-० ० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च छवीवीसतिमं सतं समत्तं . [] सतवीसइमं सयं [] 0 उद्देसगा: १-११ 0 [९९१]जीवे णं भंते! पावं कम्मं किं करिंसु, करेति, करिस्सति; करिंसु, करेति, न करेस्सति; करिंसु, न करेइ, करिस्सति; करिंसु, न करेइ, न करेस्सइ? गोयमा! अत्थेगतिए करिंसु, करेति, करिस्सति; अत्थेगतिए करिंसु, करेति, न करिस्सति; अत्थेगतिए करिंसु, न करेति, करेस्सति; अत्थेगतिए करिंसु, न करेति,न करेस्सति। सलेस्से णं भंते! जीवे पावं कम्मं0? एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसते वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, तह चेव नवदंडगसंगहिया एक्कारस उद्देसगा भाणितव्वा। *सतवीसइमे सते १-११ उहेसा समतो. ०-सत्तवीसइमं सयं समत्तं-० • मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च सत्तवीसतिमं सतं समत्तं . [] अट्ठावीसइमं सयं [] पढमो उद्देसो [९९२]जीवा णं भंते! पावं कम्म कहिं समज्जिणिंसु?, कहिं समायरिंसु? गोयमा! सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेस् य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएस य देवेसु य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएस य नेरइएस य मणुस्सेस् य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएस् य नेरइएसु य देवेसु य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएस य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा, अहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा | सलेस्सा णं भंते! जीवा पावं कम्म कहिं समज्जिणिंसु?, कहिं समायरिंसु? एवं चेव। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [510] [५-भगवई

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