Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-३३, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- १, उद्देसो-/४-११
हारगा जहा अणंतरोववन्नगा। परंपराहारगा जहा परंपरोववन्नगा। अणंतरपज्जत्तगा जहा अणंतरोववन्नगा।
परंपरपज्जत्तगा जहा परंपरोववन्नगा। चरिमा वि जहा परंपरोववन्नगा। एवं अचरिमा वि।एवं एते एक्का- रस उद्देसगा। सेवं भंते! सेवं भंते! जाव विहरति।
*तेतीसइमे सते पढ़मे सते ४-१९ उद्देसगा समता
बिडयं एगिंदियसयं [१०२२]कतिविधा णं भंते! कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नता, तं जहा-पुढविकाइया जाव वणस्सतिकाइया।
कण्हलेस्सा णं भंते! पुढविकाइया कतिविहा पन्नता? गोयमा! दुविहा पन्नता, तं जहा- सुहुम पुढविकाइया य बादरपुढविकाइया य।
कण्हलेस्सा णं भंते! सुहमपुढविकायिया कतिविहा पन्नता? एवं एएणं अभिलावेणं चठक्कओ भेदो जहेव ओहिउद्देसए।
कण्हलेस्सअपज्जत्तसुमपुढविकाइयाणं भंते! कति कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव पन्नताओ।
तहेव बंधंति। तहेव वेदेति। सेवं भंते! सेवं भंते! ति।
तेतीसइमे सते बीइए सत्ते पढमो उद्देसो समत्तो
० बिइओ उद्देसो . कतिविधा णं भंते! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नत्ता? गोयमा! पंचविहा अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया0। एवं एएणं अभिलावेणं तहेव दुपओ भेदो जाव वणस्सतिकाइय ति
अणंतरोववन्नगकण्हलेस्ससुहमपुढविकाइयाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ पन्नताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहिओ अणंतरोववन्नगाणं उद्देसओ तहेव जाव वेदेति। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला
तेतीसइमे सते बीइए सत्ते बीइओ उद्देसो समत्तो
० तइओ उद्देसो. कतिविधा णं भंते! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया पन्नता? गोयमा! पंचविहा परंपरोववन्नगा0 एगिंदिया पन्नता, तं जहा--पुढविकाइया0, एवं एएणं अभिलावेणं चठक्कओ भेदो जाव वणस्सतिकाइय ति।
परंपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जतसुहमपुढविकाइयाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ पन्नताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिओ परंपरोववन्नगउद्देसओ तहेव जाव वेदेति।
*तेतीसइमे सते बीइए सत्ते तइओ उद्देसो समत्तो
० उद्देसगा-/४-११ ० एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए एगिंदियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहेव
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[526]
[५-भगवई
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