Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-३०, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-२
एवं जाव वेमाणिया, नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं। किरियावाई णं भंते। अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धीया अभवसिद्धीया? गोयमा! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। अकिरियावाई णं0 पुच्छा। गोयमा! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अन्नाणियवाई वि, वेणइयवाई वि।
सलेस्सा णं भंते! किरियावाई अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धीया, अभवसिद्धीया? गोयमा! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया।
एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिए उद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्त ति।
एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणितव्वं। इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छद्दिट्ठी य एए सव्वे भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। सेवं भंते! सेवं भंते! तिला
*तीसइमे सते बीइओ उहेसो समतो.
0 तइओ उद्देसओ० [१००१]परंपरोववन्नगा णं भंते! नेरइया किरियावादी0? एवं जहेव ओहिओ उद्देसओ तहेव परंपरोववन्नएस वि नेरइयाईओ, तहेव निरवसेसं भाणियव्वं, तहेव तियदंडगसंगहिओ। सेवं भंते! सेवं भंते! जाव विहरइ।
*तीसइमे सते तइओ उद्देसो समत्तो
0 उद्देसगा:४-११० [१००२]एवं एएणं कमेणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी सच्चेव इहं पि जाव अचरिमो उद्देसो, नवरं अणंतरा चत्तारि वि एक्कगमगा। परंपरा चत्तारि वि एक्कगमएणं। एवं चरिमा वि, अचरिमा वि एवं चेव, नवरं अलेस्सो केवली अजोगी य न भण्णति। सेसं तहेव। सेवं भंते! सेवं भंते! एते एक्कारस उद्देसगा।
तीसइमे सते ४-११ उद्देसगा समता.
०-तीसइमं सयं समत्तं-० ० मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च तीसइमं सतं समत्तं .
[] एगतीसइमं सयं []
0 पढमो उद्देसो [१००३]रायगिहे जाव एवं वयासी
कति णं भंते! खुड्डा जुम्मा पन्नता? गोयमा! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पन्नता, तं जहा-- कडजुम्मे, तेयोए,, दावरजुम्मे, कलियोए।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[519]
[५-भगवई
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