Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-७
कुलसंपन्ने, विणयसंपन्ने, णाणसंपन्ने, दंसणसंपन्ने, चरित्तसंपन्ने, खते, दंते, अमायी, अपच्छाणुतावी ।
अट्ठहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति आलोयणं पडिच्छित्तए, तं जहा--आयारवं १ आहारवं २ ववहारवं ३ उव्वीलए ४ पकुव्वए ५ अपरिस्सावी ६ निज्जवए ७ अवायदंसी ८|
[९६०]दसविहा सामायारी पन्नत्ता, तं जहा[९६१] इच्छा १ मिच्छा २ तहक्कारो ३ आवस्सिया य ४ निसीहिया ५।
आउच्छणा य ६ पडिपुच्छा ७ छंदणा य ८ निमंतणा ९/
उपसंपया य काले १०, सामायारी भवे दसहा ।। [९६२दसविहे पायच्छिते पन्नते, तं जहा--आलोयणारिहे १ पडिक्कमणारिहे २ तद्भयारिहे ३ विवेगारिहे ४ विठसग्गारिहे ५ तवारिहे ६ छेदारिहे ७ मूलारिहे ८ अणवट्ठप्पारिहे ९ पारंचियारिहे १0।
[९६३]दुविधे तवे पन्नते, तं जहा--बाहिरए य, अभिंतरए य। से किं तं बाहिरए तवे? बाहिरए तवे छव्विधे पन्नते, तं जहा[९६४] अणसणमोमोयरिया भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ ।
कायकिलेसो पडिसंलीणया |य बज्झो तवो होइ ।। [९६५] से किं तं अणसणे? अणसणे दुविधे पन्नते, तं जहा--इत्तरिए य आवकहिए य।
से किं तं इतरिए? इत्तरिए अणेगविधे पन्नते, तं जहा--चठत्थे भत्ते, छठे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते। जाव छम्मासिए भत्ते। से तं इत्तरिए।
से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविधे पन्नते तं जहा-पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य।
से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नते, तं जहा--नीहारिमे य, अनीहारिमे य, नियमं अपडिकम्मे। से तं पाओवगमणे।
से किं तं भत्तपच्चक्खाणे? भत्तपच्चक्खाणे विधे पन्नत्ते, तं जहा--नीहारिमे य, अनीहारिमे य, नियमं सपडिक्कम्मे। से तं भत्तपच्चक्खाणे। से तं आवकहिए। से तं अणसणे।
से किं तं ओमोदरिया? ओमोदरिया विहा प०,तं जहा-दव्वोमोदरिया य भावोमोदरिया य|
से किं तं दव्वोमोदरिया? दव्वोमोदरिया दुविहा पन्नता, तं जहा--उवगरणदव्वोमोदरिया य, भत्त-पाणदव्योमोयरिया य।
से किं तं उवगरणदव्योमोदरिया? उवगरणदव्वोमोयरिया-एगे वत्थे एगे पादे चियत्तोवगरणसातिज्जणया। से तं उवगरणदव्वोमोयरिया।
से किं तं भत्त-पाणदव्वोमोदरिया? भत्त-पाणदव्वोमोदरिया अट्ठकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेते कवले आहारं आहारेमाणस्स अप्पाहारे, दुवालस0 जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव नो पकामरसभोती ति वत्तव्वं सिया। से तं भत्त-पाणदव्वोमोदरिया। से तं दव्वोमोदरिया।
से किं तं भावोमोदरिया? भावोमोदरिया अणेगविहा पन्नता, तं जहा-अप्पकोहे, जाव अप्पलोभे, अप्पसद्दे, अप्पझंझे, अप्पतुमंतुमे, से तं भावोमोदरिया। से तं ओमोयरिया।
से किं तं भिक्खायरिया? भिक्खायरिया अणेगविहा पन्नता, तं जहा-दव्वाभिग्गहचरए, खेताभिग्गहचरए, जहा उववातिए जाव सुद्धेसणिए, संखादत्तिए। से तं भिक्खायरिया। [दीपरत्नसागर संशोधितः]
[498]
[५-भगवई
Page Navigation
1 ... 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565