Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 501
________________ सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-७ उवज्झायाणं अणच्चासायणया थेराणं अणच्चासायणया कुलस्स अणच्चासायणया गणस्स अणच्चासायणया संघस्स अणच्चासादणया किरियाए अणच्चासायणया संभोगस्स अणच्चासायणया आभिणिबोहियनाणस्स अणच्चासायणया जाव केवलनाणस्स अणच्चासायणया, एएसिं चेव भत्तिबमाणे णं एएसिं चेव वण्णसंजलणया । से तं अणच्चासायणाविणए। से तं दंसणविणए। से किं तं चरित्तविणए? चरित्तविणए पंचविधे पन्नते, तं जहा--सामाइयचरितविणए जाव अहक्खायचरितविणए। से तं चरितविणए। से किं तं मणविणए? मणविणए विहे पन्नते, तं जहा--पसत्थमणविणए य अप्पसत्थमणविणए य। से किं तं पसत्थमणविणए? पसत्थमणविणए सत्तविधे पन्नत्ते, तं जहा-अपावए, असावज्जे, अकिरिए, निरुवक्केसे, अणण्हयकरे, अच्छविकरे, अभूयाभिसंकणे। से तं पसत्थमणविणए। से किं तं अप्पसत्थमणविणए? अप्पसत्थमणविणए सत्तविधे पन्नते, तं जहा-पावए सावज्जे सकिरिए सउवक्केसे अण्हयकरे छविकरे भूयाभिसंकणे। से तं अप्पसत्थमणविणए। से तं मणविणए। से किं तं वइविणए? वइविणए दुविधे पन्नते, तं जहा--पसत्थवइविणए य अप्पसत्थवइविणए य। से किं तं पसत्थवइविणए? पसत्थवइविणए सत्तविधे पन्नत्ते, तं जहा--अपावए जाव अभूयाभिसंकणे। से तं पसत्थवइविणए। से किं तं अप्पसत्थवइविणए? अप्पसत्थवइविणए सत्तविधे पन्नते, तं जहा-पावए सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे। से तं अप्पसत्थवइविणए। से तं वइविणए। से किं तं कायविणए? कायविणए दुविधे पन्नते, तं जहा--पसत्थकायविणए य अप्पसत्थकायविणए य। से किं तं पसत्थकायविणए? पसत्थकायविणए सत्तविधे पन्नते, तं जहा--आउत्तं गमणं, आउत्तं ठाणं, आउत्तं निसीयणं, आउत्तं तुयाणं, आउत्तं उल्लंघणं, आउत्तं पल्लंघणं, आउत्तं सव्विंदिय- जोगजुजणया। से तं पसत्थकायविणए। से किं तं अप्पसत्थकायविणए? अप्पसत्थकायविणए सत्तविधे पन्नते, तं जहा--अणाउत्तं गमणं, जाव अणाउत्तं सव्विंदियजोगजुंजणया। से तं अप्पसत्थकायविणए। से तं कायविणए। से किं तं लोगोवयारविणए? लोगोवयारविणए सत्तविधे पन्नते, तं जहा--अब्भासवत्तियं, परछंदाणुवत्तियं, कज्जहेतुं, कयपडिकतया, अत्तगवेसणया, देसकालण्णया, सव्वत्थेसु अपडिलोमया। से तं लोगोवयारविणए। से तं विणए। [९६६]से किं तं वेयावच्चे? वेयावच्चे दसविधे पन्नते, तंजहा-आयरियवेयावच्चे उवज्झायवेयावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सिवेयावच्चे गिलाणवेयावच्चे सेहवेयावच्चे कुलवेयावच्चे गणवेयावच्चे संघवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे। से तं वेयावच्चे। [९६७]से किं तं सज्झाए पंचविधे पन्नते, तंजहा-वायणा पडिपुच्छणा परियाणा अणुप्पेहा धम्मकहा। से तं सज्झाए। [९६८]से किं तं झाणे? झाणे चठविधे पन्नते, तं जहा-अटो झाणे, रोद्दे झाणे, धम्मे झाणे, [दीपरत्नसागर संशोधितः] [500] [५-भगवई

Loading...

Page Navigation
1 ... 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565