Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-२४, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-२१
अवसेसा वत्तव्वया जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जंतस्स तहेव, नवरं परिमाणे जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति, जहा तहिं अंतोमहत्तेहिं तहा इहं मासपुहत्तेहिं संवेहं करेज्जा । सेसं तं चेव।
जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाए वि वत्तव्वया, नवरं जहन्नेणं वासपहत्तद्वितीएस, उक्कोसेणं पुव्वकोडि0। ओगाहणा-लेस्सा-नाण-ट्ठिति-अणुबंध-संवेहनाणत्तं च जाणेज्जा जहेव तिरिक्खजोणियउद्देसए एवं जाव तमापुढविनेरइए।
जति तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति, जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उवव0? गोयमा! एगिंदियतिरिक्ख० भेदो जहा पंचेंदियतिरिक्खजोणिउद्देसए नवरं तेठ-वाऊ पडिसेहेयव्वा। सेसं तं चेव जाव
पुढविकाइए णं भंते! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए से णं भंते! केवति? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआठएसु उवव०।
ते णं भंते! जीवा0? एवं जा चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जमाणस्स पुढविकाइयस्स वत्तव्वया सा चेव इह वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा नवसु वि गमएसु, नवरं ततिय-छट्ठ-णवमेसु गमएस परिमाणं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उवववज्जंति।
जाहे अप्पणा जहन्नकालठ्ठितीओ भवति ताहे पढमगमए अज्झवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि, बितियगमए अप्पसत्था, ततियगमए पसत्था भवंति। सेसं तं चेव निरवसेसं।
जति आउकाइए0 एवं आठकाइयाण वि। एवं वणस्सतिकाइयाण वि। एवं जाव चरिंदियाणं।
असन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिया सन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिया असन्निमणुस्सा सन्निमणुस्सा य, एए सव्वे वि जहा पंचेंदियतिरिक्खजोणिउद्देसए तहेव भाणितव्वा, नवरं एताणि चेव परिमाणअज्झवसाणणाणताणि जाणिज्जा पुढविकाइयस्स एत्थ चेव उद्देसए भणियाणि। सेसं तहेव निरवसेसं।
जदि देवेहिंतो उवव0 किं भवणवासिदेवेहिंतो उवव0, वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणियदेवेहिंतो उवव0? गोयमा! भवणवासि0 जाव वेमाणिय०।
जदि भवण किं असुर जाव थणिय? गोयमा! असुर० जाव थणियो।
असुरकुमारे णं भंते! जे भविए मणुस्सेसु उवव0 से णं भंते! केवति0? गोयमा! जहन्नेणं मासपुहत्तहितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउएसु उववज्जेज्जा।
एवं जच्चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणि- उद्देसवत्तव्वया सा चेव एत्थ वि भाणियव्वा, नवरं जहा तहिं जहन्नगं अंतोमुत्तहितीएसु तहा इहं मासपुहत्तट्ठिईएसु, परिमाणं जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति।
सेसं तं चेव जाव ईसाणदेवो ति। एयाणि चेव णाणताणि| सणकुमारादीया जाव सहस्सारो ति, जहेव पंचेंदियतिरिक्खजोणिउद्देसए नवरं परिमाणे जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति। उववाओ जहन्नेणं वासपुहत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआठएसु उवव०।
सेसं तं चेव। संवेहं वासपुहत्तपुव्वकोडीसु करेज्जा ।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[444]
[५-भगवई]
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