Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 450
________________ सतं-२४, वग्गो- सत्तंसतं- , उद्देसो-२४ सेसं तं चेव। इसाणा देवा णं भंते! कओ0 उववज्जंति?0 ईसाणदेवाणं एस चेव सोहम्मगदेवसरिसा वत्तव्वया, नवरं असंखेज्जवासाउयसन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स जेसु ठाणेसु सोहम्मे उववज्जमाणस्स, पलिओवमठितीएसु ठाणेसु इहं सातिरेगं पलिओवमं कायव्वं। चठत्थगमे ओगाहणा जहन्नेणं धणुपुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगाई दो गाउयाइं। सेसं तहेव। असंखेज्जवासाउयसन्निमणूसस्स वि तहेव ठिती जहा पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स असंखेज्जवासाठयस्स, ओगाहणा वि जेसु ठाणेसु गाउयं तेसु ठाणेसु इहं सातिरेगं गाउयं। सेसं तहेव। संखेज्जवासाठयाणं तिरिक्खजोणियाणं मणूसाण य जहेव सोहम्मे उववज्जमाणाणं तहेव निरवसेसं णव वि गमगा, नवरं ईसाणे ठिति संवेहं च जाणेज्जा।। सणंकुमारगदेवा णं भंते ! कतोहिंतो उवव0 ? उववातो जहा सक्करप्पभपुढविनेरइयाणं जावपज्जतासंखेज्जवासाउयसन्निपंचेदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए सणंकुमारदेवेसु उववज्जितए? अवसेसा परिमाणादीया भवाएसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियव्वा जहा सोहम्मे उववज्जमाणस्स, नवरं सणंकुमारट्ठितिं संवेहं च जाणेज्जा। जाहे य अप्पणा जहन्नकालठ्ठितीओ भवति ताहे तिसु वि गमएसु पंच लेस्साओ आदिल्लाओ कायव्वाओ। सेसं तं चेव। जदि मणुस्सेहिंतो उवव0? मणुस्साणं जहेव सक्करप्पभाए उववज्जमाणाणं तहेव णव वि गमगा भाणियव्वा, नवरं सणंकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा। माहिंदगदेवा णं भंते! कओहिंतो उववज्जति?0 जहा सणंकुमारगदेवाणं वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाण वि भाणियव्वा, नवरं माहिंदगदेवाणं ठिती सातिरेगा भाणियव्वा सा चेव। एवं बंभलोगदेवाण वि वत्तव्वया, नवरं बंभलोगट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा। एवं जाव सहस्सारो, नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा। लंतगाईणं जहन्नकालट्ठितीयस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसु वि गमएसु छप्पि लेस्साओ कायव्वाओ। संघयणाई बंभलोग-लंतएसु पंच आदिल्लगाणि, महासुक्क-सहस्सारेसु चत्तारि, तिरिक्खजोणियाण वि मणस्साण वि। सेसं तं चेव। आणयदेवा णं भंते! कओहिंतो उववज्जंति?0 उववाओ जहा सहस्सारदेवाणं, णवरं तिरिक्खजोणिया खोडेयव्वा जाव-- पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसन्निमणुस्से णं भंते! जे भविए आणयदेवेसु उववज्जित्तए? मणुस्साण य वत्तव्वया जहेव सहस्सारे उववज्जमाणाणं, णवरं तिन्नि संघयणाणि। सेसं तहेव जाव अणुबंधो भवाएसेणं जहन्नेणं तिण्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई। कालाएसेणं जहन्नेणं अट्ठारस सागरोवमाई दोहिं वासपुहत्तेहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं सत्तावण्णं सागरोवमाइं चउहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं; एवतियं0। एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं ठितिं संवेहं च जाणेज्जा, सेसं तहेव। एवं जाव अच्चुयदेवा, नवरं ठिति संवेहं च जाणेज्जा। चठस् वि संघयणा तिन्नि आणयादीसु। गेवेज्जगदेवा णं भंते! कओ0 उववज्जंति? एस चेव वत्तव्वया, नवरं संघयणा दो। ठितिं संवेहं च जाणेज्जा। [दीपरत्नसागर संशोधितः] [449] [५-भगवई]

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