Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-२५, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- ,उद्देसो-३
परिमंडला णं भंते! संठाणा पदेसट्ठताए किं कडजुम्मा0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा। विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि, तेयोगा वि, दावरजुम्मा वि, कलियोगा वि।
एवं जाव आयता।
परिमंडले णं भंते! संठाणे किं कडजुम्मपएसोगाढे जाव कलियोगपएसोगाढे? गोयमा! कडजुम्मपएसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपएसोगाढे, नो कलियोगपएसोगाढे।
वो णं भंते! संठाणे किं कडजुम्म0 पुच्छा। गोयमा! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपएसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, सिय कलियोगपएसोगाढे।
तंसे णं भंते! संठाणे पुच्छा। गोयमा! सिय कडजुम्मपएसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपएसोगाढे, नो कलियोगपएसोगाढे।
चउरंसे णं भंते! संठाणे0, जहा वो तहा चतुरंसे वि। आयते णं भंते0! पुच्छा। गोयमा! सिय कडजुम्मपएसोगाढे जाव सिय कलियोगपएसोगाढे।
परिमंडला णं भंते! संठाणा किं कडजुम्मपएसोगाढा, तेयोगपएसोगाढा0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा।
वटा णं भंते! संठाणा किं कडजुम्मपएसोगाढा0 पुच्छा। गोयमा! ओघाएसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपएसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि तेयोगपएसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपएसोगाढा, कलियोगपएसोगाढा वि।
तंसा णं भंते! संठाणा किं कडजुम्म0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपएसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपएसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपएसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपएसोगाढा, कलियोगपएसोगाढा वि।
चठरंसा जहा वगा।
आयता णं भंते! संठाणा0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलिओगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपएसोगाढा वि।
परिमंडले णं भंते! संठाणे किं कडजुम्मसमयट्ठितीए, तेयोगसमयहितीए, दावरजुम्मसमयहितीए, कलियोगसमयट्ठितीए? गोयमा! सिय कडजुम्मसमयट्ठितीए जाव सिय कलियोगसमयहितीए।
एवं जाव आयते।
परिमंडला णं भंते! संठाणा किं कडजुम्मसमयट्ठितीया0 पुच्छा। गोयमा! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयट्ठितीया जाव सिय कलियोगसमयट्ठितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयट्ठितीया वि जाव कलियोगसमयट्ठितीया वि।
एवं जाव आयता।
परिमंडले णं भंते! संठाणे कालवण्णपज्जवेहिं किं कडजुम्मे जाव कलियोगे? गोयमा! सिय कडजुम्मे, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ठितीए।
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[457]
[५-भगवई
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