Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 434
________________ सतं-२४, वग्गो- सत्तंसत्तं- , उद्देसो-१२ नवरं इमाई सत नाणताइं-सरीरोगाहणा जहा पुढविकाइयाणं; नो सम्मद्दिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी; दो अन्नाणा णियमं; नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी; ठिती जहन्नेणं अंतोमुहतं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं; अज्झवसाणा अप्पसत्था; अणुबंधो जहा ठिती। संवेहो तहेव आदिल्लेसु दोसु गमएसु, ततियगमए भवादेसो तहेव अट्ठ भवग्गहणाई। कालाएसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहतमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीतिं वाससहस्साइं चठहिं अंतोमुहत्तेहिं अब्भहियाई। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीओ जाओ, एयस्स वि ओहियगमगसरिसा तिन्नि गमगा भाणियव्वा, नवरं तिसु वि गमएसु ठिती जहन्नेणं बारस संवच्छराई, उक्कोसेण वि बारस संवच्छराई। एवं अणुबंधो वि। भवाएसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं। कालाएसेणं उवयुज्जिऊण भाणियव्वं जाव नवमे गमए जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साई बारसहिं संवच्छरेहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीतिं वाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अब्भहियाई, एवतियं०। जति तेइंदिएहिंतो उववज्जंति0? एवं चेव नव गमका भाणियव्वा। नवरं आदिल्लेसु तिसु वि गमएसु सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाई। तिन्नि इंदियाइं। ठिती जहन्नेणं अंतोमुहतं, उक्कोसेणं एकूणपण्णं रातिंदियाई। ततियगमए कालाएसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीतिं वाससहस्साई छण्णउयरातिंदियसतमब्भहियाई, एवतियं0। मज्झिमा तिन्नि गमगा तहेव। पच्छिमा वि तिण्णि गमगा तहेव, नवरं ठिती जहन्नेणं एकूणपण्णं राइंदियाई, उक्कोसेण वि एकूणपण्णं राइंदियाइं। संवेहो उवमुंजिऊण भाणितव्यो। जति चरिंदिएहिंतो उवव0? एवं चेव चरिंदियाण वि नव गमगा भाणियव्वा, नवरं एएस चेव ठाणेस् नाणता भाणितव्वा--सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई। ठिती जहन्नेणं अंतोमुहतं, उक्कोसेणं छम्मासा। एवं अणुबंधो वि। चत्तारि इंदिया। सेसं तहेव जाव नवमगमए कालाएसेणं जहन्नेणं बावीसं वाससहस्साइं छहिं मासेहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीतिं वाससहस्साई चठवीसाए मासेहिं अब्भहियाई, एवतियं०। जइ पंचेंदियतिरिक्ख-जोणिएहिंतो उववज्जंति किं सन्नि-पंचेंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति असन्निपंचेंदियतिरिक्खजो0? गोयमा! सन्निपंचेंदिया, असन्निपंचेंदिय०। जइ असण्णिपंचिंदिय० किं जलचरेहिंतो उवव० जाव किं पज्जत्तएहिंतो उववज्जति, अपज्जत्तएहिंतो उव0? गोयमा! पज्जतएहितो वि उवव0, अपज्जत्तएहिंतो वि उववज्जति। असन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए से णं भंते! केवति0? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमहत्त० उक्कोसेणं बावीसवाससहए। ते णं भंते! जीवा0? एवं जहेव बेइंदियस्स ओहियगमए लद्धी तहेव, नवरं सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जति०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं। पंच इंदिया। ठिती अणुबंधो य जहन्नेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। सेसं तं चेव। भवाएसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहन्नेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ अट्ठासीतीए वाससहस्सेहिं अब्भहियाओ, एवतियं0। नवसु वि गमएसु कायसंवेहो भवाएसेणं जहन्नेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालाएसेणं उवजुज्जिऊण भाणितव्वं, नवरं मज्झिमएसु तिसु गमएसु-जहेव बेइंदियस्स मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु। पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु जहा एयस्स चेव पढमगमए, नवरं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [433] [५-भगवई

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