Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नमो नमो निम्पल देसणस्त . पंचम गणपर श्री सुधर्मास्यामिने नमः
|१-आयारो
पटमं अंगसुतं | १. पढमो सुयखंयो पढमं अज्झयणं - सत्थपरिण्णा
__-पट मो - उ हे सो :(१) सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवमक्खाय - इहमेगेसिं नो सण्णा भवइ ।१।-1
(२) तं जहा- पुरस्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि पञ्चस्थिमाओ चा दिसाओ आगओ अहमंसि उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि उड्ढाओ या दिसाओ आगओ अहमंसि अहे वा दिसाओ आगओ अहमति अण्णयरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि एवमेगेसिं नो नातं भवति ।२।-2
(३) अस्थि मे आया उववाइए नस्थि मे आया उबवाइए के अहं आसी के वा इओ चुए इह पेच्या भविस्सामि ।३।-3
(४) सेजं पुण जाणेजा - सहसम्मुइयाए परवागरणेणं अण्णेसि वा अंतिए सोच्चा तं जहा- पुरत्थेिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि दक्खिणाओ या दिसाओ आगओ अहमंसि पञ्चस्थिमाओ चा दिसाओ आगओ अहमंसि उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि उड्ढाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि अहे वा दिसाओ आगओ अहमंसि अण्णवरीओ वा दिसाओ अणुदिसाओ चा आगओ अहमंसि
एवमेगेसिं जं नायं भवइ-अस्थि मे आया उववाइए जो इमाओ दिसाओ अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ सवाओ दिसाओ सब्बाओ अणुदिसाओ सोहं ।४।-4
(५) से आयावादी लोगावादी कामावादी किरियावादी ५-5 (६) अकरिस्सं चहं कारवेसु चहं करओ यावि समणुण्णे भविस्सामि ।। (७) एयावंति सव्वावंति लोगंसि कम्म-समारंभा परिजाणियव्या भवंति ७.7
(८) अपरिण्णाय-कम्मे खलु अयं पुरिसे जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचाइ सव्वाओ दिसाओ सच्चाओ अणुदिसाओ सहेति ।८1-8
(९) अणेगरुवाओ जोणीओ संधेइ विरुवरुवे फासे पडिसंवेदेइ ।९।-9 (१०) तत्य खलु भगवता परिण्णा पवेइया ।१०-10
(११) इपस्स चेव जीवियस्स परिवंदण-माणण-पूयणाए जाई मरण-मोयणाए दुक्खपडिघावहेउं ११1.11
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