Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयारो - २/१/३/२५३ वा खाइमं वा साइमं वा अफासुचं अणेसणिज्नं ति मण्णमाणे] लाभे संते नो पडिगाहेजा २४१1-18 (३५३) से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए पविसितुकामे सव्वं मंडगमायाए गाहावह-कुलं पिंडवाय-पडियाए पविसेज वा निखमेज वा से भिक्ख या भिक्खुणी वा बहिया विहार-भूमि वा वियार-भूमि वा णिक्खममाणे वा पविसमाणे वा सव्यं भंडामायाए वहिया विहार-भूमि वा वियारभूमि वा णिक्खमेन वा पविसेज वा से भिक्खू वा भिक्खुणी या गामाणुगामं दूइजमाणे सव्वं भंडगमायाए गामाणुगामं दूइजेजा २४२। -19 (३५४) से भिक्खू वा भिक्खुणी दा अह पूण एवं जाणेशा-तिव्यदेसियं या वासं वासमाणं पेहाए तिव्वदेसियं वा महियं सण्णिवयमाणिं पेहाए महावाएण या रयं समद्धयं पेहाए तिरिच्छे संपाइमा वा तसा-पाणा संथडा सन्निवयमाणा पेहाए से एवं णचा नो सवं मंडगमापाए गाहावइ कुलं पिंडवाव-पडियाए पविसेज वा निक्खमेज वा हिया विहार-भूमि वा वियार-भूमि वा पविसेज वा णिक्खमेज वा गामाणुगाम वा दूइज्जेज्ञा ।२४३। 20 (३५५) से भिक्खू या भिक्षुणी वा सेजाई पुण कुलाई जाणेजा तं जहा - खतिवाण वा राईण वा कुराईण वा रायपेसियाण या रायवंसट्ठियाण वा अंतो वा बहिं वा गवंताण वा सण्णिविट्ठाण वा निमतेमाणाण वा अनिमतेमाणाण वा असणं वा पाणं वा खाइमं या अफासुयं अणेसणिजं ति मण्णमाणे लाभे संते नो पडिगाहेजा [एयं खलु तस्स भिक्खुस्स या भिक्खुणीए वा सापग्गियं जं सवठेहिं समिए सहिए सया जए त्ति बेमि] १२४४/ -21 .परमे मायणे तइओ उद्देसो समतो . -: च उ त्यो - उ सो :(३५६) से भिक्खू वा भिक्खुणी या [गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए अणु] पविठे समाणे सेजं पुण जाणेजा-मंसादियं वा मच्छादियं या मंस-खलं वा मच्छखलं वा आहेणं या पहेणं वा हिंगोतं या संमेलं वा हीरमाणं पेहाए अंतरा से मग्गा बहुपाणा बहबीया बहहरिया बहुओसा बहुउदया बहुउत्तिंगपणग-दग-मट्टिय-मकडासंताणगा घहवे तत्थ समण-माहणअतिथि-किवण वणीमगा उवागता उवागमिस्संति तत्याइण्णावित्ती नो पण्णस्स निखमणपवेसाए नो पप्णस्स वावण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धम्माणुओगचिंताए सेवं णचा तहप्पागरं पुरे-संखडि वा पच्छा-संखडि या संखडि संखडि-पडियाए नो अभिसंधारेज गमणाए से भिक्खु या भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए अणुपविढे समाणे सेनं पुण जाणेजा-मंसादियं या मच्छादियं वा मंस-खलं वा मच्छ-खलं वा आहेणं वा पहेणं वा हिंगोलं चा संमेलं वा हीरमाणं पेहाए अंतरां से मागा अप्पंडा [अप्पपाणा अप्पवीया अप्पहरिया अप्पोसा अप्पुदया अप्पुत्तिंग-पणग-दग-मट्टिप-मक्कडा] संताणगा नो तस्य बहवे समण माहण [अतिथि-किवण-वणीमगा उवागता] उवागसमिस्संति अप्पाइण्णावित्ती पण्णस्स निक्खमणपवेसाए पण्णस्स चायण-पुच्छण-परियट्टणाणुऐह-धम्माणुओगचिंताए सेवं नच्चा तहपगारं पुरे-संखडिं या पच्छा-संखडिं वा संखडि संखड़ि-पडियाए अभिसंधारेज गमणाए ।२४५/-22 (३५७) से भिक्खू वा भिक्खुणी या गाहावइ-कुलं (पिंडयाय पडियाए] पविसितुकामे सेजं पुण जाणेजा-खीरिणीओ गावीओ खीरिजमाणीओ पहाए असणं वा पाणं या खाइमं वा For Private And Personal Use Only

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