Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपखंयो-२, अध्ययणं-३, उद्देसो-१ जाणेजा-गाम वा जाव रावहाणिं वा इमंसि खलु गामंसि वा जाव रापहाणिसि या महती विहारभूमी महती वियारभूमी सुलथे जत्थ पीट-फलग-सेजा-संथारए सुलभे फासुए छे अहेसणिज्जे नो जत्थ बहवे समण-[माहण-अतिहि-किवण वणीमगा] उवागया उवागमि संति य अप्पाइण्णा वित्तो - [पण्णस्स निक्खपण-पवेसाए पण्णस्स वायण-पुच्छण-परियट्टणाणुपेह-धप्पाणुओग-चिंताए सेवं नच्चा तह-पगारं गाम वा जाव] रावहाणिं वा तओ संजयामेव वासावासं उल्लिएज्जा ३३५। .112 (४७) अह पुणेणं जाणेजा-चत्तारि मासा वासाणं वीइकंता हेमंताण य पंच-दसरावकप्पे परियुसिए अंतरा से मग्गा बहुपाणा [बहुबीया बहुहरिया बहु-ओसा बहु-उदया बहुउत्तिंग-पणग-दग-मट्टिय-म छडा] संताणगा-नो जत्थ बहवे समण-[माहण-अतिहि-किवणवणीमगा] उवागया उवागमिस्संति य सेवं नच्चा नो गामाणुगामं दूइज्जेजा अह पुणेवं जाणेजाचत्तारि मासा वासाणं वीइक्ता हेमंताण य पंच-दसरायकपे परिसिए अंतरा से मग्गा अपंडा [अप्पपाणा अपवीआ अप्पहरिया अप्पोसा अप्पुदया अप्पुत्तिंग-पणग-दग-मट्टियमक्क डा] संताणगा बहवे जत्यं समण-माहण-अतिहि-किवण-वीमगा उवागया उवागमिसंति य सेवं नचा तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा ।३३६।-113 (४४८) से भिक्खू वा भिक्खुणी या गामाणुगामं दूइज्जमाणे पुरओ जुगमायं पेहमाणे दठूण तसे पाणे-उद्धट्ट पायं रीएला साहटु पायं रीएला उक्खिप्प पायं रीएडा तिरिच्छं वा कट्ट पायं रीएजा सति परक्कमे संजतामेव परक्क मेजा नो उजुयं गच्छेन्ना तमओ संजयापेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा से भिक्खू या भिक्खुणी वा गामाणुगाम दूइज्जमाणे अंतरा से पाणाणि वा बीयाणि वा हरियाणि या उदए या मट्टिया चा अविद्धत्था सति परक्कमे [संजतामेव परक मेजा) नो उजुयं गच्छेज्जा तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा ३३७। -114 (४४९) से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगाम दूइज्जमाणे अंतरा से विरूवरूवाणि पचंतिकाणि दस्सुगायतणाणि मिलक्खूणि अणारियाणि दुस्सन्नप्पाणि दुप्पण्णवणिज्जाणि अकालपडिबोहीणि अकालपरिभोइणि सति लाढे विहाराए संघरपाणेहिं जणवएहि नो विहारयत्तियाए पवजेजा गमणाए केवली धूया आवाणमेयं-ते णं बाला अयं तेणे अयं उच्चरए अयं तओ आगए ति कटु तं भिक्खु अमेसेज वा (बंधेन वा रुमेन या] उद्दवेज वा वत्यं पडिग्गहं कंवलं पायपुंछणं अच्छिदेज वा अवहरेज वा परिभवेज या अह भिक्खूणं पुच्चोवदिट्ठा (एस पइण्णा एस हेऊ एस कारणं एस उवएसो] जं नो तहप्पगाराणि विरुवस्वाणि पञ्चंतियाणि दस्सुगायतणाणि मिलक्खूणि अणारियाणि दुस्सनप्पाणि दुप्पण्णवणिजाणि अकालपडियोहीणि अकालपरिभोईणि सति लाढे विहाराए संथरमाणेहिं जणवएहिं] विहार-वत्तियाए पवजेजा गमणाए तओ संजायामेव गामाणुगामं दूइजेजा ।३३८1-115 (४५०) से भिक्खू वा भिक्षुणी वा गामाणुगाम दूइजमाणे अंतरा से अरायाणि वा गणरायाणि वा जुवरायाणि वा दोरजाणि वा बेरजाणि वा विरुद्धरजाणि वा सति लाढे विहाराए संथरमाणेहिं जणवएहि नो विहार-वत्तियाए पवजेज गमणाए केवली घूया आया-- णमेयं ते णं याला अयं तेणे (अयं उवचरए अयं तओ आगए ति कट्ट तं भिक्खं असेज वा बंधेज वा रुंभेन या उद्दवेज वा बत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं अछिदेज वा अवहरेज या For Private And Personal Use Only

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