Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 125
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११६ आयारो २/१५/-/५३५ जिणे जाए केवली सव्वण्णू सव्वभावदरिसी सदेवमणुयासुरम्स लोयस्त पचाए जाणइ तं जहा - आपत्तिं गतिं ठिति चयणं उववायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं अवीकम्मं रहोकम्मं लवियं कहियं मनोमाणसियं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावाइ जाणमाणे पासमाणे एवं च णं विरइ जणं दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स निव्वाणे कसिणे पडिपुण्ये अव्याहए निरावरणे अनंते अणुत्तरे केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे तण्णं दिवसं भवणवइ-चाणमंतरजोइसिय-विमाणवासिदेवेहि य देवीहि य ओययंतेहि य [ उप्पयंतेहि य एगे महं दिव्वे देवु. जोए दैच-सण्णिवाते देव - कहककहे उप्पिंजलगभूए यादि होत्था तओ णं समणे भगवं महाबीरे उष्पण्णनाणदंसणधरे अप्माणं च लोगं च अभिसमेक्ख पुव्वं देवाणं धम्ममाइक्खति तओ पच्छा मणुस्ताणं तओ णं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनागदंसणधरे गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं पंच महव्वयाई सभावणाई छज्जीवनिकायाई आइक्खइ मासइ परूवेइ तं जहा पुढविकाए आउकाए तेउकाए बाउकाए वणस्सइकाए तसकाए । ४०२-४/- 179-4 (५३६) पढमं भंते महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं पाणाइवायं से सहमं या बायरं वा तसं वा धावरं वा-नेव सयं पाणाइवायं करेज्जा नेवण्णेहिं पाणाइचायं कारवेज्जा नेवण्णं पाणाइवार्य करतं समणुजाणेज्जा जावज्जीयाए तिविहं तिविहेणं - माणसा वयसा कायसा तस्स भंते पडिक मामि निंदामि गरिहामि अप्माणं वोसिरामि तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति तत्यिमा पढमा भावणा- इरियासमिए से निग्गंधे नो इरिया असलिए त्ति केवली बूया- इरिया असमिए से निग्धे पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणेज या [वत्तेज वा परियावेज वा लेसेज था ] उद्दवेज या इरियासमिए से निग्गंधे नो इरिया असमिए ति पढमा भावणा, अहावरा दोचा भावणा-मणं परिजाणाइ से निग्गंथे जे य मणे पावए सावजे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेदकरे अधिकरणिए पाओसिए पारिताविए पाणाइवाइए भूओवधाइए-तहप्पगारं मणं नो पधारेज्जा मणं परिजानाति से निग्गंधे जे य मणे अपावए त्ति दोच्चा भावणा, अहावरा तच्चा भावणा व परिजाणइ से निग्गंथे जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया [ अण्हयकरा छेयकस भेदकरा अधिकरणिया पाओसिया पारिताविया पाणाइवाइया ] भूओवघाइया-तहप्पणारं वई नो उच्चारिजा जे वयं परिजाणइ से निग्गंधे जा य वई अपावियत्ति तच्चा भावणा, अहावरा चउत्था भावणा- आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंधे नो आयाणभंडमत्तनिक्खेचणाअसमिए केवली खूया - आयाणभंडमत्तनिक्खेवणाअसमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणेज वा वत्तेज वा परियावेज वा लेसेज वा ] उद्दवेज वा तम्हा आयाणभंडमत्तनिखे वणासमिए से निग्गंधे नो आयाणभंडमत्तनिक्खेवणाअसमिए ति चउत्था भावणा, अहावरा पंचमा भावणा- आलोइयपाणभोयणभोइ से निग्गंथे नो अणालोइय पाणभोयणभोई केवली बूया- अणालोइयाणमोयणभोई से निग्गंथे पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणेज वा यत्ते वा परियावेज वा लेसेज वा उद्दवेज वा तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोई ति पंचमा भावणा एतावताव महव्वए सम्म काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ पढने भंते महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं ॥ ४०२५- 179-6 ( ५३७ ) अहावर दोघं भंते महन्वयं-पचक्खामि सव्वे मुसावायं वइदोस से कोहा या For Private And Personal Use Only

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