Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयारो - 914/३/२२३ मायण्णे खणण्णे विणयण्णे समयण्णे परिग्गहं अममायगाणे कालेणुलाई अपडिपणे दुहओ छेत्ता नियाइ १२०६।-209 (२२३) तं भिक्टुं सीयफास परियेवमाणगारं उवसंकमित्तुं पाहावई वूया - आउसंतो समणा नो खलु ते गामधम्मा उच्चाहति आउसंतो गाहावई नो खलु मम गामधमा उव्याहति सीयफास नो खलु अहं संचाएमि अहिवासितए नो खलु मे कप्पति अगणिकायं उज्जालेत्ताए वा पञ्जालेत्तए वा कायं आवावेत्तए वा पयावेत्तए वा अण्णेसि वा वयणाओ सिवा से एवं वदंतस्स परो अगणिकायं उझालेत्ता पञ्जालेत्ता कायं आयावेज वा पयावेज वा तं च भिक्खू पडिलेहाए आगमेत्ता आणवेजा अणासेवणाए - ति येमि ।२०७1-210 • अट्टमे अग्रपणे तइओ उद्देसो समत्तो . -: च उ त्यो - उ हे सो :(२२४) जे भिक्खू तिहि दत्धेहिं परिचुसिते पायचउत्थेहिं तस्स णं नो एवं भवतिचरत्धं वयं जाइस्सामि से अहेराणिजाई वत्थाई जाएजा अहापरिगहियाई बत्थाई धारेशा नो धाएजा नो रएजा नो घोय-रत्ताई वत्थाई धारेजा अपलिउंचमाणे गामंतरेसु ओमचेलिए एवं खु बत्थवारिम्स सामग्गिय ।२०८|-211 (२२५) अह पुण एवं जागेचा उवाइकते खलु हेमंते गिम्हे पड़िवन्ने अहापरिजुण्णाई यत्थाई परिट्टवेज़ा अहापरिजुण्णाई वत्थाई परिवेत्ता- अदुवा संतरुत्तरे अदुवा एगसाडे अटुवा अचेले ।२०९।-212 (२२६) लायवियं आगगमाणे तवे से अभिसमत्रागए भवति ।२१०1 -213 (२२७) जमेवं भगवया पवेदितं तपेव अभिसपेचा सव्यतो शव्यत्ताए समत्तमेव समभिजणिया ।२११1-214 (२२८) जरस णं भिक्खुस्स एवं भवति पुट्टो खलु अहमंसि नालमहमंसि सीय-फास अहियासित्तए से वसुमं सव्व-समन्त्रागय-पण्णाणेणं अप्पाणेणं केइ अकरणाए आउद्दे तवरिसणो हु तं सेवं जमेगे विहमाइए तत्थावि तस्स कालपरिवाए से वि तत्थ विअंतिकारए इच्छेतं विमोहायतणं हिचं सुहं खपं निरसेवसं आणुगामियं - ति बेमि ।२१२। 215 .अमे अमायणे चउत्यो उद्देसो सपत्तो . ___ - पं च मो - उ दे सो :(२२९) जे भिक्खू दोहिं वस्थेहिं परिवुसिते पायतइएहिं तस्स णं नो एवं भवति - तइयं वत्थं जाइराामि से अहेसणिजाई यत्याई जाएजा अहापरिग्गहिवाई वत्थाई धारेज्जा नो धोएजा नो रएज्जा नो धोय-रत्ताई वत्थाई धारेजा अपत्तिउंचमाणे गामंतरेगुं ओमचेलिए एवं नु तस्स भिवखुस्स सामगि अह पुण एवं जाणेजा रवाइकंते खलु हेमंते गिम्हे पडिवत्रे अहापरिजुण्णाई वस्थाई परिट्टवेज्ञा अहापरिजुण्णाई वत्थाई परिट्टवेत्ता - अदुवा एगसाडे अदुवा अचेले लावियं आगपमाणे तवे से अभिरामन्नागए भवति जगेयं भगवता पवेदितं तमेव अभिसमन्त्रागए भवति जमेयं भगवता पवेदितं तमेव अभिसमेच्या सव्यतो सव्वत्ताए रागत्तमेव समभिजाणिया जस्स णं भिक्बुस्स एवं भवति - पुट्टो अवलो अहमसि नालमहमंसि गिहतासंकमणं भिक्खायरिय - गपणाए से एवं वदंतस्स परो अभिहडं असणं For Private And Personal Use Only

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