Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७९||-15 1८011-16 ||८१1-1 1८२||-2 ||८३||-3 11८४||-4 ॥८५||-5 सुयक्खंपो-१, अझपणं-९, उद्देसो-२ (३०२) तसि भगवं अपडिण्णे अहे वियडे अहियासए दविए निक्खम्म एगदा राओ चाएइ भगवं समियाए (३०३) एस विही अणुकतो माहणेण पईमया अपडिण्णेण वीरेण कासवेण महेसिणा - ति बेमि • नवपे अझयणे बोसो उद्देसो सपत्तो . -: त ई ओ - उद्दे सो :(३०४) तणफासे सीयफासे य तेउफासे य दंस-मसगे य अहिंयासए सया समिए फासाइं विरुवरुवाई (३०५) अह दुचर-लाढमचारी वजभूमि च सुटम भूचि च पंतं सेनं सेविंसु आसणगाणि चेवव पंताई (३०६) लाटेहिं तस्सुवसग्गा वहवे जाणवया लूसिंसु अह लूहदेसिए भत्ते कुकुरा तत्थ हिंसिंसु निवत्तिंसु (३०७) अप्पे जणे निवारेइ लूसणए सुणए दसमाणे छुछुकारंति आहेसु सपणं कुक्कुरा डसंतुत्ति (३०८) एलिखए जणे मुञ्जो वहवे वजभूमि फरुसासी लटि गहाय नालीयं समणा तत्थ एव विहरिंसु (३०९) एवं पि तत्थ निहरंता पुठ्ठपुव्वा अहेसि सुणएहिं संलुचमाणा सुणएहिं दुचरगाणि तत्थ लादेहिं (३१०) निधाय दंड पाणेहिं तं कायं वोसञ्जमणगारे अह गामकंटए भगवं ते अहियासए अभिसमेचा (३११) नाओ संगामसीसे वा पारए तत्य से महावीरे एवं पि तत्थ लादेहिं अलद्धपुब्बो वि एगया गामो (३१२) उबसंकमतपडिण्णं गामंतिवं पि अप्पत्तं पडिनिक्खमित्तु लूसिंसु एत्तो परं पलेहित्ति (३१३) हयपुव्यो तत्य दंडेण अदुया मुट्ठिणा अदु कुंताइ-फलेणं अदु लेलुणा कवालेणं हेता हंता यहवे कंदिसु (३१४) मंसाणि मित्रपुव्वाइं उठुमति एगया कार्य परीसहाई लुचिसु अहवा पंसुणा अवकिरिसु {३१५) उच्चालइय णिहणिसु अदुवा आसणाओ खलइंस वोसट्टकाए पणयासी दुक्खसहे भगवं अपडिण्णे (३१६) सूरो संगामसीसे वा संबुडे तस्य से महावीरे पडिसेवमाणे फरुसाई अचले भगवं रीइत्या (३१७) एस विही अणुरंतो माहणेण मईमवा अपडिपणेण वीरेण कासवेण महेसिणा - त्ति येमि • नवमे अझयणे तइओ उद्देसो सपत्तो . 11८६||-6 ।।८७)-7 ||८८11-8 ॥८९11-9 [९011-10 ॥९१11-11 ||९२||-12 ॥९३||-13 ॥९४||-14 For Private And Personal Use Only

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