Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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||४९।।-8
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॥५२॥1-11
॥५३||-12
सुयोपो-१, अजयण-१, उद्देसो-१ (२६९) अदु पोरिसं तिरियं भित्तिं चक्खुमासज्ज अंतसो झाइ
__ अह चक्खु-भीया सहिया तं हंता हंता वहवे कांदसु (२७०) सयणेहिं वितिमिस्सेहिं इत्थीओ तत्थ से परिण्णाय
सागारियं न सेवे इति से सयं पवेसिया झाति (२७१) जे के इमे अगारत्था मीसीभावं पहाय से झात्ति
पुट्ठो वि नाभिभासिंसु गच्छति नाइवत्तइ अंजू (२७२) नो सुगरमेतमेगेसिं नाभिभासे अभिवायमाणे
हयपुब्बो तस्य दंडेहि लूसियपुवो अप्पपुण्णेहि (२७३) फरुसाई दुत्तितिक्खाई अतिअच्च मुणी परक्कममाणे
आघाव - नट्ट - गीताई दंडजुद्धाई मुट्ठिजुद्धाई (२७४) गढिए मिहो - कहासु समयंपि नायसुए विसोगे अदक्खू
एताई सो उरालई गच्छइ नायपुत्ते असरणाए (२७५) अविसाहिए दुवे वासे सीतोदं अभोचा निक्खंते
एगत्तगए पिहिबच्चे से अहिण्णाचदंसणे संते (२७६) पुढविंच आउकायं तेउकायं च वाउकायं च
पणगाई बीय-हरिपाइं तसकायं च सवसो नचा (२७७) एवाइं संति पडिलेहे चित्तमंताई से अभिण्णाय।
परिविजिया न विहरित्या इति संखाए से महावीरे (२७८) अदु थावरा तसत्ताए तसजीवा व यावरताए ।
अदु सव्वजोणिया सत्ता कम्मुणा कपिया पुढो बाला (२७९) भगवं च एवं पत्रेसिं सोवहिए हु लुप्पती याले
कम्मं च सव्वसो नच्चा तं पडियाइक्खे पावगं भगवं (२८०) दुविहं समिच्च मेहावी किरियमक्खायणेलिसिं नाणी
आयाण-सोयमतिवाय-सोयं जोगं च सव्वसो नद्या अइवातियं अणाउट्टे सयमण्णेसि अकरणयाए
जस्सिस्थिओ परिण्णाया सव्वकम्मावहाओ से अदक्खू (२८२) अहाकडं न से सेवे सचसो कम्मुणा य अदक्खू
जं किंचि पावगं भगवं तं अकुच्वं वियडं भुंजित्था (२८३) नो सेवती य परवत्थं परपाए वि से न मुंजित्था
परिवञ्जियाण ओमाणं गच्छति संखडिं असरणाए (२८४) मायण्णे असण-पाणस्स नाणुगिद्धे रसेसु अपडिण्णे
अछिपि नो पमज्जिया नोवि य कंडूयये पुणी गायं (२८५) अपं तिरियं पेहाए अणं पिट्ठओ उपेहाए
अप्पं बुइएऽपडिमाणी पंथपेही चरे जयमाणे
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