Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥९८||-4
आपारो - १/९/४/३१८ -:च उत्थो -उद्दे सो :(३१८) ओमोदरियं चाएति अपठे वि भगवं रोगेहिं ! पुढे वा से अपुढे वा नो से सातिजति तेइच्छं
॥९५||-1 (३१९) संसोहणं च यमणं च गायट्यगण सिणाणं च
संवाहणं न से कप्पे दंतपक्खालणं परिणाए ॥९६ा-2 (३२०) चिरए गामधमेहि रीयति माहणे अवहुबाई
सिसिमि एगदा भगवं छायाए झाइ आसी य ||२७||-3 (३२१) आवावई य गिम्हाणं अच्छइ र कइए अपिवाते
अदु जावइत्यं लूहेणं ओयण-मंथु कुमासेणं (३२२) एयाणि तिणि पडिसेवे अट्ट मासे य जावए भगवं
अपिइत्थं एगया भगवं अद्धमासं अदुवा मासं पि ||१९||-5 (३२३) अवि साहिए दुवे मासे छप्पि मासे अदुवा अपिवित्ता
रायोवरायं अपडिण्णे अनगिलायमेगया भुंजे । ॥१००11-6 (३२४) छट्टेणं एगया भुंजे अदुवा अट्टमेण दसमेणं
दुवालसमेण एगवा धुंजे पेहमाणे समाहिं अपडिण्णे 1190981-7 (३२५) नचाणं से महावीरे नो वि य पावगं सयमकासी
अण्णेहि वा न कारित्था कीरंतं पि नाणुजाणित्था ।।१०२||-8 (३२६) गार्म पविसे नपरं वा पासमेसे कर्ड परट्ठाए।
सुविसुद्धपेसिया भगवं आवत-जोगयाए सेवित्या ।।१०३1-9 (३२७) अदु वायसा दिगिछत्ता जे अण्णे रसेसिणो सत्ता
घासेसणाए चिटुंते सययं णिवतिते य पेहाए ॥१०४।-10 (३२८) अदु माहणं व समणंवा गामपिंडोलगं व अतिहिं वा
सोवागं मूसियारं या कुटुं वावि विहं ठियं पुरतो ॥१०५||-11 (३२९) वित्तिच्छेदं वनंतो तेसप्पत्ति परिहरंतो
मंदं परक्कमे भगवं अहिंसमाणो घासमेसित्था ॥१०६||-12 (३३०) अवि सूइयं सुकंवा सीयपिंडं पुराणकुम्पासं ।
अदु बकसं पुलागं वा लद्धे पिंडे अलद्धए दविए ॥१०७||-13 (३३१) अवि झाति से महावीरे आसणत्य अकुकुए झाणं
उड्ढमहे तिरियं च पेहमाणे समाहिमपडिण्णे ||१०८|-14 (३३२) अकसाई विगयगेही सद्दस्वेसुऽपुच्छिए शाति
छउपत्थे वि परक्कममाणे नो पमायं सई पि कुवित्या ॥१०९||-15 (३३३) सयमेव अभिसमागम्म आयतजोगमायसोहीए
अभिनिबुडे अपाइले आवकहं भगवं समिआसी ||११०||-16 (३३४) एस विही अणुकतो माहणेणं पईमया
अपडिण्णेण वीरेण कासवेण महेसिणा - त्ति वेमी ॥१११18-17 • नवमे अन्झषणे चउत्यो उद्देसो सपत्तो . नवमं अायणं सपत्तं .
• पटमोसुयखंपो सपत्तो .
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