Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुपर्खयो-१, अन्यण-६, उद्देसो-३ निक्खम्म ते असंभवंता विडज्झमाणा कामेहिं गिद्धा अज्झोववण्णा समाहिमाघायमझोसयता सत्यारमेव फरुसं वदंति ।१८५/-188 (२०२) सीलमंता उवसंता संखाए रीयमाणा असीला अणुवयमाणा वितिया मंदस्स वालया ।१८६|-189 (२०३) नियट्माणा वेगे आयार-गोवरमाइक्खंति नाणमट्ठा दंसणलूसिणो ११८७५-190 (२०४) नममाणा एगे जीवितं विप्परिणामेति पुट्ठा वेगे नियटुळंति जीवियस्सेव कारणा निखंतं पि तेसिं दुनिस्खंतं भवति बालवयणिज्जा हु ते नरा पुणो-पुणो जाति पकप्पति अहे संभवंता विद्दायमाणा अहमंसी विउछ से उदासीणे फरुसं वदंति पलिवं पगंधे अदुवा पगंथे अतहेहिं तं मेहाची जाणिज्जा धम्मं 1१८८-191 (२०५) अहम्मट्टी तुमंसि नाम वाले आरंभट्ठी अणुवयमाणे हणमाणे घायमाणे हणओ यावि समणुजाणमाणे घोरे घम्मे उदीरिए उचेहइ णं अणाणाए एस विसण्णे वितद्दे वियाहिते ति बेमि 1१८९1-192 (२०६) किमणेण भो जणेण करिस्सामित्ति मण्णमाणा - एवं पेगे वइत्ता मातरं पितरं हिचा णातओ य परिग्गहं दीरायमाणा समुहाए अविहिंसा सुव्वया दंता अहेगे पस्स दीणे उप्पइए पडिवयमाणे वसट्टा कायरा जणा लूसगा भवंति अहमेगेसि सिलोए पावए भवइ से सपणविभंते समणविभंते पासहेगे समण्णागएहिं असमण्णागए नममाणेहि अनममाणे विरतेहिं अविरते दविएहिं अदबिए अभिसमेघा पंडिए मेहावी निठ्ठिपढे वीरे आगमेणं सया परको जासि - त्ति बेमि ।१९०] -193 •छट्टे अझयणे चउत्यो उद्देसो समत्तो . - पंच मो - उ सो :(२०७) से गिहेसु वा गिहतरेसु वा गापेमु वा गामंतरेसु वा नगरेसु वा नगरंतोसु वा जणवएस वा जणवतरेसु वा संतेगइया जणा लूसगा भवंति अदुवा फासा फुसंति ते फासे पुट्ठो वीरोहियासए ओए समियदसणे दयं लोगस्स जाणिता पाईणं पडीणं उदीणं आइक्खे विथए किट्टे वेयवी से उठ्ठिएसु वा अणुट्टिएसु वा सुस्सूसमाणेसु पवेदए - संति विरतिं उवसमं निव्वाणं सोयवियं अञवियं मद्दवियं लाघवियं. अणइवत्तियं सव्वेसिं पाणाणं सम्बेसि भूयाणं सव्वेसि जीवाणं सव्वेसि सत्ताणं अणुवीइ भिक्खू घम्ममाइक्खेना १९१1-194 (२०८) अणुवीइ भिक्खू घम्ममाइक्खमाणे नो अत्ताणं आसाएजा नो परं आसाएज्जा णो अण्णाई पाणाइं भूयाइं सत्ताई आसाएजा से अणासादए अणासादमाणे वुझमाणाणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं जहा से दीवे असंदीणे एवं से भवइ सरणं पहामुणी एवं से उठ्ठिए ठिवप्पा अणिहे अचले घले अहिलेस्से परिव्वए संखाय पेसलं धामं दिठिमं परिणिच्छुडे तम्हा संगं ति पासह गंथेहिं गढियार गरा विसण्णा कामविप्पिया तम्हा लूहाओ नो परिवित्तसेज्जा जस्सिमे आरंभा सम्वतो सव्वत्ताए सुपरिण्णाया भवंति जेसिमे लूसिणो णो परिवित्तसंति से वंता कोहं च माणं च मायं च लोमं च एस तुट्टे विवाहिते ति बेमि ।१९२।-195 (२०१) कायस्स विओवाए एस संगामसीसे वियाहिए से हु पारंगमे मुणी अवि हमपाणे फलगावठि कालोवणीते कंखेज कालं जाव सरीरभेट - ति बेमि १९३।196 .छठे अझयणे पंचपो उद्देसो समतो .छर्दू अन्ययणं सपत्तं. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130