Book Title: Agam 01 Ayaro Angsutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १८ आयारो - १/५/१/१५८ ( १५८) पासह एगे रुवेसु गिद्धे परिणिज्रमाणे एत्थ फासे पुणो- पुणो आवंती केआवंती लोयंसि आरंभजीवी एएसु चेव आरंभजीवी एत्य वि वाले परिपद्यमाणे रमति पावेहिं कम्पेहिं असरणे सरणं ति मण्णमाणे इहमेगेसिं एगचरिया भवति से बहुकोहे बहुमाणे बहुमाए बहुलोए बहुरए बहुनडे बहुसढे बहुसंकपे आसवसक्की पतिउच्छत्रे उट्ठियवायं पवयमाणे मा मे केइ अदक्खू अन्नाण- पमाय-दोसेणं सययं मूढे धम्मं नाभिजाणइ अट्टा पया माणव कम्पकोविया जे अणुवस्या अविज्जाए पतिमोक्खमाहु आवट्टं अणुपरियति - त्ति बेमि । १४६/-145 पंचमे अयणे पटमो उद्देसो सपत्तो -: बी ओ उसो : ( १५९) आवंती के आवंती लोयंसि अणारंभजीवी एतेसु चैव मणारंभजीवी एत्थोबरए तं झोसमाणे अयं संधी ति अदक्खु जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणे त्ति मन्नेसी एस मग्गे आरिएहिं पवेदिते उट्ठिए नो पमायए जाणित्तु दुक्खं पत्ते यं सायं पुढोछंदा इह माणवा पुढी दुक्खं पवेदितं से अविहिंसमाणे अणवयमाणे पुट्ठो फासे विप्पोल्लए ।१४७1-146 (१६०) एस समिया परियाए विवाहिते जे असत्ता पावेहिं कप्मेहिं उदाहु ते आयंका फुसंति इति उदाहुवीरे ते फास पुट्ठो हियासए से पुव्वं पेयं पच्छा पेयं भेउर-धम्मं विद्धंसण-धम्मं अधुवं अणितियं असासवं चयावचइयं विपरिणाम-धम्मं पासह एवं रुवं संधि 19४८1-147 ( १६१ ) समुष्पेहमाणस्स एगावतण रयस्स इह विप्पभुक्कस नत्थि मग्गे विरयस्स त्ति बेमि 19४९1-148 - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A - (१६२ ) आवंती के आवंती लोगंसि परिग्गहावंती से अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा अचित्तमंतं वा एतेसु चेच परिग्गहावंती एतदेवेगेसि महत्भयं भवति लोगवित्तं च णं उवेहाए ए ए संगे अविजाणतो । १५०/- 149 ( १६३) से सुपडिवुद्धं सूवणीचं ति णच्चा पुरिसा परमचक्खू विपरक्कमा एतेसु चेव बंभचेरं ति बेमि से सुयं च मे अज्झत्थियं च मे बंध- पमोक्खो तुज्झ अज्झत्येव एत्थ विरते अणगारे दीहरावं तितिक्खए पमत्ते यहिया पास अप्पमत्तो परिव्वए एवं मोण सम्मं अणुवासिज्जासि - ति वेमि 19491 - 150 पंचमे अज्झयणे बीओ उद्देसो सपत्तो - त ई ओ उसो : - ( १६४ ) आवंती के आवंती लोयंसि अपरिग्गहावंती एएस चेव अपरिग्गहावंती सोया वई मेहावी पंडिचाणं निसामिया समियाए धम्मे आरिएहिं पवेदिते जहेत्य मए संधी झोसिए एवमण्णत्य संधी दुज्झोसिए भवति तम्हा बेमि- नो निहेज्ज वीरियं । १५२1-151 ( १६५) जे पुव्वट्ठाई तो पच्छा-निवाई जे पुव्वट्ठाई पच्छा-निवाई जे नो पुव्वुट्टाई नो पच्छा - णिवाई सेवि तारिसए सिधा जे परिण्णाय लोगमणुस्सिओ 19५३1-152 - ( १६६ ) एवं निवाय मुणिणा पवेदितं इह आणाखी पंडिए अणि पुव्वावररायं जयमाणे या सीलं संपेहाए सुणिया भवे अकामे अझंझे इमेणं चेव जुज्झाहि किं ते जुज्झेज बज्झओ 19५४/- 153 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130