Book Title: Adhyatma ki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ अध्यात्म की वर्णमाला संचालन करना बंद दिया है / ऐसा क्यों किया ? विज्ञान मौन है। अध्यात्म का उत्तर होगा-मस्तिष्क प्राणशक्ति से संचालित था। प्राण-शक्ति को पैदा कर रहे थे सूक्ष्म शरीर / वे इस स्थूल शरीर को छोड़ कर चले गए। वे जुड़े हुए हैं चेतना के साथ / चेतना चली गई, साथ-साथ वे भी चले गये / प्राणशक्ति का कार्य बन्द हुआ, कोशिकाओं का विभाजन और पुनर्जनन बंद हो गया। अध्यात्म और भौतिक या पौद्गलिक नगर के बीच कोई दुलंध्य दीवार नहीं है। इन दोनों में भेद है, विरोध नहीं है / किसी अपेक्षा से संबंध भी है / यदि तुम आध्यात्मिक बनना चाहते हो तो आत्मा और पुद्गल-इन दोनों को समझना जरूरी है। __ आत्मा के विषय में अध्ययन करो और पुद्गल को भी पढ़ो। इन दोनों के सम्बन्धों और संगम-बिन्दुओं को भी जानने का प्रयत्न करो। कुछ आध्यात्मिक व्यक्ति भी कहते हैं-साधक को पढ़ने की क्या जरूरत है ? हमारा चिन्तन इससे भिन्न है / अध्यात्म के साधक को काफी गहरा ज्ञान होना चाहिए। इसके बिना वह अध्यात्म की उच्च भूमिकाओं पर आरोहण नहीं कर सकता / भगवान् महावीर का प्रवचन इस विषय में बहुत उपयोगी है / ___ धर्म के तीन अंग हैं-स्वाध्याय, ध्यान और तप / इन तीनों का समन्वय ही तुम्हें अध्यात्म की दिशा में आगे बढ़ा सकेगा। राणावास 1 जून, 1990 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70