Book Title: Adhyatma ki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 39
________________ अध्यात्म की वर्णमाला बहुत बार ऐसा होता है कि मनुष्य बहुत बड़ी कल्पना कर लेता है और वह सफल नहीं होती तब उदास या निराश हो जाता है । वह निराशा उसे साधना से विमुख बना देती है। धीमे-धीमे चलता है, वह पहुंच जाता है। बहुत जल्दी करता है, वह बीच में ही अटक जाता है । विशुद्धि केन्द्र वह चैतन्य केन्द्र है, जो मंजिल तक पहुंचाने में साथ देता है। उसका साथ लो और आगे बढ़ो। लाडनूं १ सितम्बर ९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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