Book Title: Adhyatma ki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 50
________________ अध्यात्म की वर्णमाला ४५ कारक बन जाता है। इसीलिए योग साधना में बार-बार निर्देश दिया जाता है—शरीर का पृष्ठभाग, गर्दन-सब सीधे रहें। समकायः समग्रीवः-इसकी स्मृति अनिवार्य है। कषाय शमन, मानसिक शांति, चैतसिक विशुद्धि-~-इन सबके लिए शांति केन्द्र का ध्यान बहुत उपयोगी है। जितना उपयोगी उतना ही शक्तिशाली। शक्ति की सीमा को समझ कर इसका अभ्यास करो। लाडनूं १ मार्च, १९९२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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